Tuesday, April 16, 2024
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Uttarakhand Traffic: अनियंत्रित ट्रैफिक की एक बड़ी वजह लोकल ट्रांसपोर्ट की अराजकता, नए प्लान पर हुआ मंथन

राजधानी के अनियंत्रित ट्रैफिक की एक बड़ी वजह लोकल ट्रांसपोर्ट की अराजकता है। दून की सड़कों पर सिटी बस, विक्रम, मैजिक, ऑटो और ई-रिक्शा बेतहाशा व बेलगाम दौड़ रहे हैं। लेकिन, तमाम कोशिशों के बावजूद पिछले दस साल में परिवहन महकमा इन्हें नियंत्रित नहीं कर पाया। अब नई पहल हुई है। परिवहन विभाग ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट संचालन के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था बनाकर महानगर को तीन कॉरिडोर में बांट दिया है।

कोशिश है कि सभी सार्वजनिक वाहन तय रूट पर ही चलें। जगह-जगह बस-टैक्सी-मैजिक स्टैंड हों। ऐसी एप की व्यवस्था हो कि महानगरों की तरह आम जनता घर बैठे वाहन मंगा सके। सिटी बसें, विक्रम, मैजिक, ऑटो तय रूट पर चलें। लंबी दूरी की सड़कों पर सिर्फ सिटी बसें दौड़ें। जहां बसें नहीं चल सकतीं वहां केवल मैजिक और मिनी बसों का जादू चले।

ट्रैफिक की अराजकता से दून की जनता को मुक्ति मिले
रेलवे या बस स्टेशनों से घर आने के लिए ऑटो की सुविधा हो। गली-मोहल्लों में ई रिक्शा दौड़े। लेकिन स्थानीय ट्रांसपोर्टरों में इतने आपसी मतभेद हैं कि कोई रास्ता नहीं निकल रहा।लोकल ट्रांसपोटर्स के इस गतिरोध को तोड़ने के लिए अमर उजाला ने अपने कार्यालय में संवाद का आयोजन किया।

इसमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने अपनी समस्याएं रखीं। परिवहन विभाग की ओर से आरटीओ प्रशासन सुनील शर्मा और आरटीओ प्रवर्तन शैलेश तिवारी ने इन समस्याओं को सुनकर न केवल उनकी शंकाओं का समाधान किया बल्कि स्मार्ट सिटी के स्मार्ट ट्रांसपोर्ट का मंत्र भी दिया। तय हुआ कि सब मिलजुल कर कोई रास्ता निकलेंगे ताकि ट्रैफिक की अराजकता से दून की जनता को मुक्ति मिले।
किसकी क्या समस्या

बस : सिटी बस संचालकों का कहना है कि उनके रूट पर विक्रम, ई-रिक्शा, ऑटो सब चलते हैं। बसों को सवारी नहीं मिलती। घाटे के कारण ही आधी बसें बंद हो गईं। इसकी मॉनीटरिंग करने वाला कोई नहीं।

विक्रम : विक्रम संचालकों का कहना है कि उन्हें विक्रम रोककर स्टेज कैरिज की तरह जगह-जगह सवारी बैठाने की अनुमति नहीं है। उन्हें भी स्टेज कैरिज में शामिल कर फुटकर सवारी बैठाने की इजाजत दी जाए।

ई-रिक्शा : ई-रिक्शा और ऑटो संचालक तीसरे कॉरिडोर यानी शहर के बाहरी हिस्से में चलने को तैयार हैं। लेकिन, उनकी मांग है कि शहर में ई-रिक्शा और ऑटो के लिए स्टापेज बढ़ाए जाएं ताकि सवारियों को आसानी से बैठाया और उतारा जा सके।

इस नए प्लान पर हुआ मंथन
नए प्लान के तहत पहले कॉरिडोर में आशारोड़ी से कुठालगेट, रायपुर से झाझरा, गढ़ी कैंट से मोहकमपुर तक तीन रूट शामिल किए गए हैं। इन पर स्टेज कैरिज परमिट वाली सिटी बसें, टाटा मैजिक चलेंगी। दूसरे कॉरिडोर में 24 रूटों पर सिर्फ स्टेज कैरिज परमिट वाले टाटा मैजिक चलेंगे। तीसरे कॉरिडोर में ऑटो, ई-रिक्शा शहर के गली-मोहल्लों से सवारी मुख्य सड़क तक पहुंचाएंगे।

विक्रम बने सिरदर्द पर सवाल रोजी रोटी काराजधानी में चल रहे करीब 500 विक्रम परिवहन विभाग के लिए असली सिरदर्द हैं। विक्रम कांट्रैक्ट कैरिज में शामिल हैं। यानी कोई भी सवारी पूरी विक्रम को बुक कर उसे किराये पर ले सकती है। सात सीटर विक्रम को जगह-जगह रोककर फुटकर सवारी नहीं बैठा जा सकता। लेकिन, हकीकत में ऐसा नहीं है। वे लंबे वक्त से सड़कों पर विक्रम रोककर फुटकर सवारी ढोते आए हैं। जबकि, विक्रमों को कांट्रैक्ट कैरिज की शर्तों का पालन करते हुए शहर के बाहरी हिस्सों से मुख्य मार्गों तक सवारी बुकिंग में लाने की व्यवस्था है। ऐसा न करने पर उनका रोजाना चलाना होता है।

जनकल्याण सेवा समिति विक्रम यूनियन के अध्यक्ष सतीश चंद्र शर्मा ने कहा विक्रम शुरू से परिवहन विभाग के निशाने पर हैं। हम केवल यह चाहते हैं कि विक्रमों को स्टेज कैरिज का परमिट दिया जाए ताकि विक्रम मेन कॉरिडोर पर मैजिक के साथ ही फुटकर सवारी बैठा सकें। यूनियन के संजय अरोरा कहते हैं कि आरटीओ विक्रम को हटाने के बजाय सीएनजी विक्रम चलाने की सहमति दें। इसके लिए सर्वे भी कराया गया है। आखिर ये हमारी रोजी-रोटी का सवाल है। उन्होंने कहा, कोर्ट ने भी वर्ष 2020 के बाद पंजीकृत वाहनों को अपनी उम्र पूरी करने के आदेश जारी किए हैं। फिर उन्हें दिक्कत क्या है?

क्या कहते हैं आरटीओ

आरटीओ सुनील शर्मा ने कहा कि दिक्कत कोर्ट के आदेश हैं। हमें उसका पालन करना है। कोर्ट ने साफ कहा है कि विक्रमों को नए परमिट न जारी किए जाएं। उत्तराखंड मोटर व्हीकल नियमावली-2011 के अनुसार गाड़ी की बनावट, ऊंचाई, लंबाई, सुविधाओं के मानकों पर विक्रम खरे नहीं उतरते, इसलिए इन्हें स्टेज कैरिज का परमिट कतई नहीं दिया जा सकता। आरटीओ ने यह भी संकेत दिए कि अब विक्रम लंबे समय तक नहीं चल पाएंगे, इसलिए बेहतर है विक्रम संचालक मैजिक जैसी मिनी बसों का रुख करें। कोई और विकल्प नहीं है।

संचालक बोले- मॉनीटरिंग बढ़ाएं, वर्ना बंद हो जाएगी सिटी बस सेवासिटी बस संचालकों को नए प्लान से कोई समस्या नहीं है। लेकिन, मुख्य कॉरिडोर पर सिटी बसों के साथ टाटा मैजिक को चलाने की अनुमति देने से सिटी बस संचालक नाखुश हैं। यूनियन के रवि कुमार कहते हैं कि पहले सिटी बस के संचालन की कार्ययोजना बनी थी, तो हर जगह विक्रम चला दिए गए।

विक्रमों के कारण सिटी बसों को नुकसान होता रहा। वर्ष 1996 में कहा गया कि सभी रूटों पर सिटी बसें आ जाएंगी तो विक्रमों को हटा दिया जाएगा, वह कभी नहीं हटे। अब सिटी बस के कॉरिडोर पर टाटा मैजिक चला दिए गए। उन्हें स्टेज कैरिज का परमिट दे दिया गया। उसी रूट पर बसें चल रही है, उसी के समानांतर मैजिक। कहा, मैजिक को मिनी बस नहीं कहा जा सकता। स्टेज कैरिज के कुछ नियम होते हैं। उन्होंने स्टेज कैरिज का रोटेशन तय करने की मांग की। कहा, बस के रूटों पर वाहनों के संचालन की मॉनीटरिंग की जाए।

क्या कहते हैं आरटीओ

आरटीओ शैलेश तिवारी ने कहा, सिटी बसों के रूट पर वाहनों की मॉनीटरिंग की जाएगी। बगैर अनुमति के कोई वाहन इस रूट पर नहीं चल सकेगा। जल्द ये व्यवस्था होगी कि उनकी रूट पर सवारी उठाने वाले वाहनों के वे नंबर भेजें, उन पर कार्रवाई की जाएगी।

स्क्रैप के बदले नए ई रिक्शा लगाए जाएंगेऑटो यूनियन और ई-रिक्शा संचालकों को नए प्लान से कोई समस्या नहीं है। ऑटो यूनियन ने कहा, ई-रिक्शा संचालन के लिए नियम बनाया गया था कि सुबह आठ से रात आठ बजे तक शहर में वह प्रवेश नहीं करेंगे। शहर में दस हजार से अधिक ई-रिक्शा हैं। इनके कारण हादसे होते हैं। इनके पास परमिट भी नहीं होते। ई-रिक्शा को शहर से बाहर चलाया जाए।

क्या कहते हैं आरटीओ

आरटीओ सुनील शर्मा ने कहा, विभाग में 4200 ई-रिक्शा पंजीकृत हैं। इनकी संख्या पर लगाम लगाने के लिए रिप्लेस पॉलिसी लाई जाएगी। स्क्रैप के बदले नए ई-रिक्शा लगाए जाएंगे। ऑटो यूनियन के शेखर दुबे ने कहा कि घंटाघर पर ऑटो के लिए स्थान चिन्हित हो, जहां पर सिर्फ सवारियों को उतारा जा सके। सवारी उतारने पर चालान न किया जाए। घंटाघर के पास स्थान चिन्हित किया जाएगा। आईएसबीटी पर प्रीपेड स्टैंड भी बनाया जाएगा।

ई-रिक्शा के लिए नौ क्लस्टर

ई-रिक्शा यूनियन ने कहा, परिवहन विभाग संचालकों को परेशान न करे। संख्या के अनुसार उन्हें स्टैंड आवंटित किए जाएं। आरटीओ सुनील शर्मा ने कहा कि ई-रिक्शा चालक लंबी दूरी की सवार न बैठाएं। प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने से परहेज करें। ई-रिक्शा के लिए नौ नए क्लस्टर बनाए जा रहे हैं। इसी दायरे में ई-रिक्शा का संचालन करें। कहा, जल्द ई-रिक्शा पर रेट लिस्ट चस्पा की जाएगी। माल ढोने वाले वाहन संचालकों पर जुर्माना लगेगा।

हर सात मिनट में मिलेंगी बसें, टैक्स फ्री होगी मैजिक

दून में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का संचालन प्राथमिकता है। इसमें स्टेज कैरिज वाली सिटी बसों को सबसे आगे रखा गया है। चौड़ी सड़कों पर बसें चलेंगी। कम चौड़ी सड़कों पर मिनी बस, टाटा मैजिक चलाई जाएंगी। विक्रम से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए मैजिक के रूप में ऐसी गाड़ी तलाशी गई है जो कम प्रदूषण करे। 18 नए रूट बनाए गए हैं। हर सात मिनट में बस, मिनी बस चलाने का लक्ष्य है।

विभाग का मकसद बसों को कॉरिडोर प्रदान करना है। दून में इंटरमीडिएट ट्रांसपोर्ट सिस्टम लागू किया जा रहा है। इसमें छोटे रूटों को बड़े रूट से जोड़ा जा रहा है। जहां रूट नहीं हो सकते, वहां से छोटे वाहन सवारी लेकर आएंगे और बस स्टॉप पर छोड़ेंगे। ऑटो का संचालन स्टैंड से होगा। 34 रूटों पर छोटी गाड़ियां चलेंगी। विक्रम के लिए नौ जोन बनाए जाएंगे। सिटी बस के बाद टाटा मैजिक को टैक्स फ्री किया जाएगा। –सुनील शर्मा, आरटीओ प्रशासन, देहरादून संभाग

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