देहरादून: कोरोना महामारी (Coronavirus) के मद्देनजर देशभर में लागू लॉकडाउन 3.0 की मियाद रविवार को खत्म हो रही है। अभी वायरस जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए तीसरी बार लॉकडाउन का बढ़ना तय है, जिसका संकेत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में दिया था। लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि लॉकडाउन 4.0 (Lockdown) में कई तरह की छूट दिए जाने की संभावना है। इस बारे में अब किसी भी वक्त ऐलान जा सकता है। ऐसे में देश की आधी आबादी क्या सोचती है इस लॉक डाउन के चौथे चरण को लेकर वो सरकार से क्या उम्मीद रखती है ।
चौथे चरण के इस 4.0 लॉक डाउन को लेकर लखनऊ के भारतीय बालिका विद्यालय की प्रधानाचार्या रीता टंडन का कहना है कि भारत सरकार द्वारा कोरोना बीमारी के प्रति जागरूकता ने एक हद तक इस महामारी पर काबू पाया हैं ऐसे में स्पष्ट दिशा निर्देश और राज्य और केंद्र सरकार के समन्वय और एक जैसी गाइडलाइन के साथ लॉकडाउन में कई हद तक छूट दी जानी चाहिए। बाज़ारों को पुनः खोला जाना चाहिए, स्कूल को फिर से शुरू कर देना चाहिए अभी कुछ समय के लिए बड़ी कक्षा को शुरू करना चाहिए और छोटे बच्चों को फिलहाल अभी छुट्टी दे देनी चाहिए।जो ज़रूरी कार्य है उसको लेकर छूट दी जानी चाहिए।
लखनऊ की माया फाउंडेशन की अध्यक्ष सौम्य भट्ट का कहना है कि लॉकडाउन 4.0 की शुरुआत भी होने ही वाली है इस समय जो सबसे महत्वपूर्व चीज़ जो हमें नही बल्कि हमारे मज़दूर भाई बहनो को मिलनी चाहिए वो है सकुशल तरीक़े से उन्हें उनके घर पहुँचाने की व्यवस्था , हम निरंतर देख रहे है कि यह सिर्फ़ एक उचें स्तर से किया गया वादा ही साबित हो रहा है ज़मीनी स्तर की हालत बत से बत्तर है आए दिन दुर्घटनाएँ हो रही है दिल दहला देने वाली तस्वीरें आ रही हमारे सामने ऐसा ही चलता रहा तो करोना से नही बल्कि लोग दुर्घटनाओं और बाक़ी चीज़ों से मरेंगे । यह हमारी इंसानियत एक बहुत बड़ा इम्तिहान है जिसे हमें सब भूल कर निभाना चाहिए ।
ज्योति अग्रवाल जो की समाज सेविका है उनका मानना है कि सभी दुकानें सही नियमो ,समय,दिन और सभी सावधानी को ध्यान देते हुए खोली जाए क्यूंकि सभी के लिए अपनी और अपने सहायकों की मूलभूत जरूरतें भी पूरी करना मुश्किल हो रहा है आमदनी है नही जमा पैसा खर्च हो चुका है और आने वाले खर्च फिर से शुरू हो चुके हैं।
मोहिनी गौतम जो पेशे से असिस्टेंट प्रोफेसर है उनका कहना है कि मजदूरों के लिए केंद्र और राज्य दोनो को instant कदम उठाने चाहिये।ताकी उनका सफर आसान बन सके । पिछ्ले 50 दिनो मे सबसे ज्यादा मुसिबते मजदूरों और उन्के परिवारों ने झेली हैं।सिर्फ सडकों पर कुछ खाने का सामान दे देने से जिम्मेदारी पूरी नही हो जाती ।हमने पिछ्ले 7सालो मे बहुत सुना की खुले मे शौच ना जाये सोचिये जरा ये मजदूर कैसे अपनी बेहद जरुरी काम भी कैसे कर पा रहे होन्गे। इतनी बसें हैं,उन्हे फ़्री मे मजदूरो के लिए लगया जाना चाहिये। सोशल डिस्टन्सिंग के साथ आप जगह जगह से बस और दुसरे वाहन उप्लब्ध करा दीजिये। जिससे वो अपने घर सही सलामत पहुँच सके।
लखनऊ में समाजसेवी निधि उपाध्याय ने रोष व्यक्त करते हुए कहा की जब शराब की दुकानें खोली हैं तो अब लॉकडाउन का कोई मतलब नहीं है। इसके साथ ही निधि कहती है की उन्हें उचित और सख्त दिशानिर्देशों के साथ कपड़ों के सैलून और आवश्यक वस्तुओं की छोटी दुकानों को खोलने की अनुमति देनी चाहिए।मानदंडों का पालन किया जा रहा है या नहीं, इस पर सख्ती के लिए उचित टीमें बनाई जाएंगी। उन्हें कभी भी किसी भी जगह पर छापा मारना चाहिए और स्वच्छता और सामाजिक दूरियों के मामले में कोई भी लापरवाही पाए जाने पर उसे तुरंत सील कर देना चाहिए।
स्वाति शर्मा जो दिव्यांग बच्चों का स्कूल चलती है उनका कहना है कि दिव्यांगता के क्षेत्र में व्यवसायिक प्रशिक्षण के कार्य को सावधानीपूर्वक करने में छूट दी जाये जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके ।
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