’पहले जिंदगी फिर परीक्षा’ अभियान कोरोना महामारी के बीच लखनऊ विवि (Lucknow University) द्वारा घोषित परीक्षाएं रद्द करवाने को लेकर सोसाइल मीडिया के ज़रिये प्रशासन के कानो तक छात्रों की आवाज़ पहुँचाने के लिए पूर्व छात्रनेता सहित विवि के पूर्व छात्रों द्वारा चलाया जा रहा है अभियान ।
लखनऊ: देश में भले ही कोरोना वायरस संक्रमण के तेज़ी से फैलने के बाद भी लॉकडाउन को अनलॉक कर आम जनता को सरकार ने थोड़ी रहत ज़रूर दी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की देश पर से कोरोना संक्रमण का खतरा टल चुका है।
ताज़ा आकड़ो की माने को भारत 4 लाख 73 हज़ार 105 केस से साथ दुनिया में चौथे स्थान पर है। यह आकड़ा देश की मौजूदा स्तिथि बताने के लिए काफी है की देश में कोरोना अब अपने विस्फोटक रूप में बदल रहा है।
अनलॉक के फेज 1 में कोरोना महामारी ने जिस रफ़्तार से देश को अपनी गिरफ्त में लिया उसके बाद भी सरकार और प्रशासन चिता नहीं है इसका मौजूदा उदहारण लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) है। लखनऊ में कोरोना संक्रमण के बढ़ते केस के बावजूद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा की डेट घोषित कर दी है जबकि केन्द्र सरकार ने देश भर के शैक्षिक संस्थानों को 15 अगस्त 2020 तक बंद रखने का आदेश दिया है। बढ़ते कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच इस तरह का निर्णय काॅलेज छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों की जान के साथ खिलवाड़ करना है।
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लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के इस निर्णय को लेकर पूर्व छात्र नेता और विवि छात्रों के दल ने सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ परीक्षा रद्द कर लखनऊ विश्वविद्यालय सहित शैक्षिक संस्थानों को 15 अगस्त 2020 तक बंद करने के लिए छात्रों से ’पहले जिंदगी फिर परीक्षा’ अभियान को आगे बढ़ने की अपील की है।
इस मुद्दे पर लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के पूर्व छात्र नेता विनोद तिवारी उर्फ अप्पू ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और काॅलेजों के छात्र नेताओं से इन काॅलेजों की मनमानी के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया हैंडल से लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन की इस तरह की मनमानी के खिलाफ लिखते हुए कहा कि सभी लोग आम छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के हितों के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से आवाज उठाएं। विनोद तिवारी ने कहा, वर्तमान समय में पूरा देश कोरोना संकट का सामना कर रहा है। लोगों को एक जगह एकत्र होने से रोका जा रहा है। क्योंकि महामारी के फैलने का खतरा बना हुआ है। लेकिन इस संकट के बीच यूपी के ज्यादातर विवि और काॅलेजों ने परीक्षाओं की डेट घोषित कर दी है, जो उचित नहीं है।
हिमांशु गुप्ता कहते छात्रो के ज़िंदगी से खिलवाड़ करने के लिए ये परीक्षा तिथि घोषित कि गई है जिसके भविष्य में गम्भीर परिणाम हो सकते है। जैसा की सभी को पता है कि सम्पूर्ण भारत में लगभग 14000 से अधिक कोरोना संक्रमित व्यक्ति पाये जा रहे है और अकेले लखनऊ में इसकी संख्या प्रतिदिन लगभग 50 से अधिक है। ऐसे में विश्वविद्यालय को परीक्षा कार्यक्रम नही रखना चाहिये। परीक्षा करवाने का इतना ही मन है तो ऑनलाइन परीक्षा पर विचार करे मगर विश्वविद्यालय/महविद्यालय में छात्र-छात्राओ को बुला कर परीक्षा नही लेनी चाहिये।
परीक्षा की तिथि घोषित होने पर अब अभिभावक में भी काफी गुस्सा है। छात्र नेताओ के साथ अभिभावकों का भी कहना है कि अब जब सत्र पीछे हो ही गया है तो 6 महीना लेट ही सही। कोरोना महामारी के कम होने के बाद भी परीक्षा कराया जा सकता है। छात्र नेता ने कहा, सभी साथी सोशल मीडिया पर ’पहले जिंदगी फिर परीक्षा’ अभियान चलाएं। ताकि हमारी आवाज जिम्मेदारों तक पहुंच सके।