लखनऊ: उत्तर प्रदेश (UP) की राजनीति में इस बार दो ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy) के बड़े चेहरों की एंट्री हुई। दोनों ही कोई मामूली अधिकारी नहीं, बल्कि अपने क्षेत्र के चर्चित चेहरे रहे हैं। ED के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) और पूर्व आईपीएस असीम अरुण (Asim Arun) ने वीआरएस लेकर बीजेपी ज्वाइन की थी। राजनीति में एंट्री करते ही दोनों ही अधिकारियों की किस्मत चमक गई। राजेश्वर सिंह ने लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से भारी वोटों से जीत हासिल की थी। जिसके बाद माना जा रहा था कि उन्हें योगी सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन उन्हें योगी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। लेकिन असीम अरुण को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है।
हालांकि राजेश्वर सिंह का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है। वह 1996 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं। वहीं उनके नाम पर 13 एनकाउंटर भी दर्ज हैं। 2009 में उनकी प्रतिनियुक्ति ED में हुई, तो उन्होंने 2G स्पेक्ट्रम घोटाले के 223 करोड़ के मामले का खुलासा किया था। वहीं उन्होंने कोयला घोटाला, कॉमनवेल्थ खेल घोटाला और अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले का भी पर्दाफाश किया था। उनकी राजनीति की एंट्री भी धमाकेदार रही। नौकरी छोड़कर राजनीति में शामिल होते ही 24 घंटे के भीतर ही बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। लखनऊ की सरोजिनी नगर विधानसभा सीट से जीत दर्ज करते ही उनका योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्री बनना लगभग तय हो गया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उन्हें योगी सरकार में जगह नहीं दी गई है।
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