दिल्ली: बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में जनरल बॉडी की मीटिंग हुई। इस मीटिंग में भारतीय शिक्षा बोर्ड के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। केंद्र सरकार ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर भारतीय शिक्षा बोर्ड (Bhartiya Shiksha Board) का गठन करके उसकी कमान बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट (Patanjali Yog Trust Haridwar) को सौंपी है। इसके साथ ही इस मीटिंग में उज्जैन स्थित महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (MSRVPP) के अधीन वैदिक शिक्षा बोर्ड के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गयी।
बाबा रामदेव ने सामने रखा था विचार
शिक्षा का ‘स्वदेशीकरण’ करने के लिए सीबीएसई की तर्ज पर एक राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड स्थापित करने का विचार सबसे पहले बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने ही सामने रखा था। वर्ष 2015 में उन्होंने अपने हरिद्वार स्थित वैदिक शिक्षा अनुसंधान संस्थान (VRI) के जरिए एक नया स्कूली शिक्षा बोर्ड शुरू करने का विचार प्रस्तुत किया था। इस स्कूली शिक्षा बोर्ड में ‘महर्षि दयानंद की पुरातन शिक्षा’ और आधुनिक शिक्षा का मिश्रण करके भारतीय शिक्षा बोर्ड की स्थापना की जानी थी। हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2016 में यह प्रस्ताव खारिज कर दिया था।
#भारतीय_शिक्षा_बोर्ड के मान्यता के लिए राष्ट्र सदियों तक माननीय श्री @narendramodi जी का कृतज्ञ रहेगा।
आजादी के अमृत महोत्सव पर “शिक्षा की आजादी” का बहुत बड़ा ऐतिहासिक कार्य आज पूरा हुआ है 1835 में जो मैकाले पाप करके गया, वह अब हिंदुस्तान से साफ होगा।@dpradhanbjp@ANI pic.twitter.com/QVouiwPEsK— स्वामी रामदेव (@yogrishiramdev) August 3, 2022
भारतीय शिक्षा बोर्ड (Bhartiya Shiksha Board) के लिए महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान में ही इच्छा की अभिव्यक्ति के साथ आवेदन आमंत्रित किए गए थे। प्राप्त आवेदनों की स्क्रूटनी के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी भी बनाई गई थी। बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के अलावा दि एमेटी ग्रुप और पुणे बेस्ड महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। इनमें से एक्सपर्ट कमेटी ने पतंजलि ट्रस्ट का नाम भारतीय शिक्षा बोर्ड के संचालन के लिए प्रस्तावित किया।
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BSB देश का पहला राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड माना जाएगा और उसे सिलेबस तैयार करने, स्कूलों को संबद्ध करने, परीक्षा आयोजित करने और प्रमाण पत्र जारी करके भारतीय पारंपरिक ज्ञान का मानकीकरण करने का अधिकार होगा। वह आधुनिक शिक्षा के साथ इसे मिश्रित करके भारतीय परंपरा के अनुसार पढ़ाई करवाएगा। वही वेद विद्या प्रतिष्ठान के अंतर्गत संचालित होने वाली वेद पाठशालाओं और गुरु-शिष्य इकाइयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को इस वैदिक शिक्षा बोर्ड के माध्यम से बोर्ड के समकक्ष मान्यता मिल सकेगी।
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