देहरादून: ज्योतिषाचार्य राजीव अग्रवाल ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत सभी सुहागिन स्त्रियां, श्रद्धा और भाव के साथ मनाती आ रही है l लेकिन इस बार भी कुछ लोग कह रहे हैं कि शुक्र अस्त होने के कारण जिन कन्याओं का विवाह इस वर्ष में हुआ है वह करवा चौथ का व्रत नहीं कर सकती l साथ ही कुछ लोगों का कहना है कि 13 तारीख को मनाए अथवा 14 तारीख को ऐसा लगता है l इन लोगों को पंचांग देखना भी शायद नहीं आता तो शास्त्र की जानकारी कितनी होगी l यह तो स्वयं ही समझा जा सकता है l
धर्मशास्त्र अनुसंधान केंद्र, धर्म शास्त्रों, ब्राह्मण निर्णय, निर्णय सिंधु सागर एवं मुहूर्त शास्त्रों का अध्ययन करते हुए पाया है कि बहुत से विद्वत जन भी शास्त्र के प्रमाण वाक्यों का एवं खास परिस्थितियों में परिहार वाक्यों का भी अनुसरण करने में कतराते हैं और अपने ही द्वारा कहे गए वाक्य और मत का ही अनुसरण करने के लिए न जाने क्यों बाध्य हो जाते हैं l इसमें शास्त्र की हानि होती है l और समाज भय और भ्रांति से ग्रसित होता है l ऐसे में शास्त्र का स्वाध्याय, चिंतन और मनन करना सभी के लिए परम आवश्यक है l ताकि ऐसी परिस्थितियां पैदा ना हो l क्योंकि जिन लोगों ने कहा है कि 13 तारीख को अथवा 14 तारीख को मनाए उनसे हम कहना चाहते हैं कि 13 तारीख को मनाना इसलिए आवश्यक है कि 12 तारीख को मध्य रात्रि उपरांत 1:59 मिनट से चतुर्थी तिथि प्रारंभ हो जाएगी और 13 तारीख को मध्य रात्रि उपरांत 3:08 तक चतुर्थी तिथि विद्यमान रहेगी l अतः चंद्रमा का दर्शन चतुर्थी तिथि को मात्र 13 तारीख को ही हो सकता है l इस व्रत में चंद्रमा को अर्घ देना परम आवश्यक माना गया है l ऐसी स्थिति में 13 अक्टूबर वार बृहस्पतिवार को व्रत मनाना शास्त्र सम्मत होगा l इसमें लेश मात्र भी संशय नहीं है l
तारा डूबना अर्थात शुक्र गुरु आदि का अस्त होना तारा डूबना कहलाता है l वास्तविकता यह है कि मात्र शुक्र ग्रह का अस्त होना ही तारा डूबना कहलाता है l लेकिन कुछ समय से बृहस्पति को भी इसमें सम्मिलित कर चुके हैं l यह भी एक भ्रामक जानकारी है – जो लोग यह कह रहे हैं कि शुक्र के अस्त होने के कारण इस वर्ष जिनका विवाह हुआ है l वह व्रत नहीं कर सकती l तो उनसे पूछा जा सकता है कि जिनका विवाह इस वर्ष से पूर्व हो चुका है वह फिर कैसे व्रत कर सकती हैं l क्योंकि यदि शुक्र अस्त होने का दुष्प्रभाव इसी वर्ष जिनका विवाह हुआ है l उन्हीं को भोगना पड़ेगा l पहले जिनका विवाह हो चुका है l उनको नहीं भोगना पड़ेगा l इस संदर्भ में क्या कहेंगे l दूसरा सवाल यह है कि यह व्रत स्वयं ही चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है जो कि एक रिक्ता तिथि कहलाती है और मुहूर्त शास्त्र का यह वचन है कि रिक्ता तिथि में कोई भी शुभ कार्य करना सदैव वर्जित है फिर हमारे मुहूर्त कारों ने इस व्रत को चतुर्थी तिथि को करना ही क्यों बताया l सभी बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ 13 अक्टूबर को करवा चौथ का यह पावन पर्व बड़ी प्रसंता एवं श्रद्धा और भाव के साथ मनाइए किसी प्रकार का कोई भी दोष व्याप्त नहीं है l
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