देहरादून: बीते शुक्रवार को ही उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के जंगलों को आग forest burning से बचाने के लिए 10000 वन प्रहरियों की तैनाती का फैसला लिया था। गर्मी का मौसम आने से पहले सरकार सभी इंतजाम कर लेना चाहती है, लेकिन नैनीताल वन प्रभाग कोसी रेंज के जंगल आग से धधक रहे हैं। पिछले 24 घंटे से अधिक समय से जंगलों में आग लगी हुई है, लेकिन शिकायत के बाद भी वन विभाग की टीम मौके पर नहीं पहुंच सकी है। तेजी से फैल रही आग से लाखों की वन संपदा जलकर राख हो चुकी है, वन्य जीवों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इसके बावजूद वन विभाग इस आग को बुझाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के जंगल एक बार फिर आग की चपेट में हैं। जंगल की आग विकराल रूप धारण करती जा रही है। इस आग की वजह से एक तरफ जहां वन संपदा और वन्यजीवों को नुकसान पहुंच रहा है, वहीं इंसान भी अछूते नहीं हैं. वन विभाग की रिपोर्ट की मानें तो जंगल की आग के कारण अभी तक 4 लोगों की जान जा चुकी है। इस साल अब तक जंगल में आग लगने की 657 घटनाओं के बाद भी वन विभाग या सरकार अब तक सचेत नहीं हुए हैं। जानकारी के मुताबिक जंगल की आग से इस वर्ष 814 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली वन संपदाएं प्रभावित हुई हैं। गौर करने की बात यह है कि आग से प्रभावित 39 हेक्टेयर का क्षेत्र ऐसा है, जहां हाल ही में पौधरोपण किया गया था। जंगल में आग लगने से संरक्षित वन्यजीवों को भी नुकसान पहुंचने की बातें सामने आ रही हैं। वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक संरक्षित अभयारण्यों में आग लगने की 9 घटनाएं अब तक हुई हैं। जल्द ही प्रदेश सरकार ने जंगल में आग लगने की घटनाओं के रोकथाम के लिए कोई इंतेज़ाम नहीं करती है तो उत्तराखंड को इसका खामियाज़ा उठाना पड़ सकता है।