लखनऊ: प्रदेश सरकार कुपोषण को राज्य से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। पूरे प्रदेश में जून में चले संभव अभियान में चिंहित किए गए ढाई लाख कुपोषित बच्चों का उपचार किया जा रहा है, जिससे इनकी भी कद काठी सामान्य बच्चों की तरह बढ़ सके। अगले माह इन सभी बच्चों की प्रोग्रेस रिपोर्ट आंकी जाएगी।
शासन की ओर से वर्ष 2021 से हर साल कुपोषित बच्चों को खोजने के लिए संभव अभियान चलाया जा रहा है। पिछले दो वर्षों से आयोजित हो रहे संभव अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। ई-कवच से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक इस साल शून्य से पांच साल के दो लाख 48 हजार 728 अति गंभीर कुपोषित (सैम) बच्चों को चिन्हित किया गया है। इन बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद उनकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार टीकाकरण, आयरन, फालिक एसिड, मल्टी विटामिन, कैल्शियम दिया जा रहा है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हर 15 दिनों पर इन चिन्हित बच्चों के घर जाकर इनका स्वास्थ्य परीक्षण कर रही हैं कि इनका वजन बढ़ रहा है कि नहीं। जरूरत के अनुसार अभी तक 16645 बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) रेफर किया गया है। 63148 और बच्चों को एनआरसी रेफर किया जाना है।
एक सितंबर से राष्ट्रीय पोषण माह शुरू हो चुका है। इस दौरान इन चिन्हित बच्चों की जांच की जाएगी कि इनमें कितने बच्चे स्वस्थ हुए। अक्टूबर में पूरे अभियान का मूल्यांकन किया जाएगा। दिसंबर में बच्चों का फिर से वजन लिया जाएगा और यह देखा जाएगा कि बच्चों के पोषण की स्थिति में कोई परिवर्तन हुआ है कि नहीं।
पोषण अभियान में बिजनौर अव्वल
संभव अभियान में मुरादाबाद मंडल की परफार्मेंस प्रदेश में बेस्ट रही है। बिजनौर प्रथम, उन्नाव दूसरे, मुरादाबाद तीसरे, वाराणसी चौथे और जौनपुर पांचवें बेहतरीन जनपद के रूप में उभरा है। गाजियाबाद छठे, श्रावस्ती सातवें, रामपुर आठवें, अमरोहा नवें और चंदौली 10वें स्थान पर रहा। जिलों की रैकिंग सात मानकों के आधार पर की गई है।
इस तरह से माने जाते हैं बच्चे कुपोषित
एसजीपीजीआई की डायटीशियन प्रीति यादव बताती हैं कि यदि बच्चे का वजन और उसकी लंबाई एक निश्चित अनुपात में नहीं है तो उस बच्चे को कुपोषित माना जाएगा। इसके साथ ही यदि छह माह तक के बच्चे के दोनों पैरों में सूजन है तो वह भी कुपोषित की श्रेणी में आएगा।
ऐसे बचाएं बच्चे को कुपोषित होने से
– गर्भावस्था के दौरान खानपान का रखें पूरा ख्याल
– जन्म के तुंरत बाद कराएं स्तनपान
– छह माह तक सिर्फ मां का दूध पिलाएं, बाहर का कुछ भी न दें
– छह माह बाद बच्चे को दें मां के दूध के साथ पौष्टिक आहार
यह भी पढ़े: प्रदेश के 17 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को ‘शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार’’ से किया गया सम्मानित