Sunday, June 8, 2025
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यूपी में 3235 बड़े और छोटे पुलों का निर्माण और विकास करेगी योगी सरकार, 28346 करोड़ रुपये होंगे खर्च

लखनऊ: योगी आदित्यनाथ सरकार उत्तर प्रदेश को उत्तम कनेक्टिविटी युक्त प्रदेश के तौर पर स्थापित करने की ओर कदम बढ़ा रही है. प्रदेश सरकार बड़े और छोटे पुलों के निर्माण पर फोकस कर रही है. लोक निर्माण विभाग ने वर्ष 2025-26 के लिए बड़ा लक्ष्य रखा है.

इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना भी तैयार की गई है. इस पर काम शुरू हो गया है. कार्ययोजना के अनुसार प्रदेश में 28,346 करोड़ रुपये खर्च कर 3,235 बड़े और छोटे पुलों का निर्माण व विकास प्रस्तावित है.

राज्य सरकार के मीडिया सेल के मुताबिक उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड 60 मीटर से अधिक लम्बाई के बड़े पुलों का निर्माण किया जाना कार्ययोजना के अंतर्गत प्रस्तावित है, जबकि लोक निर्माण विभाग की तरफ से छह मीटर से 60 मीटर तक की लंबाई वाले छोटे पुलों का निर्माण किया जाएगा.

इसके अलावा रोड सेफ्टी को बढ़ाने के लिए ब्लैक स्पॉट को चिह्नित कर उसकी मरम्मत और संकरे व अस्थाई पुलों की मरम्मत व निर्माण पर भी फोकस किया जा रहा है जिससे प्रदेश में पुलों का जाल बिछाने का मार्ग प्रशस्त होगा.

तीन योजनाओं में होगा पुलों का होगा निर्माण: उत्तर प्रदेश में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए लोकनिर्माण विभाग की तरफ से तैयार की गई वार्षिक कार्ययोजना 2025-26 के अनुसार जिन बड़े व छोटे पुलों का निर्माण होना है उसमें तीन योजनाओं का समावेश होगा. राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राज्य योजना (ग्रामीण) और राज्य योजना (शहरी) प्रमुख हैं.

इन तीनों योजनाओं के जरिए प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े व छोटे पुलों के निर्माण के साथ ही कच्चे व लकड़ी के पुल और जीर्ण-शीर्ष अवस्था वाले पुलों का नवनिर्माण व विकास होगा. ऐसे क्षेत्रों में स्थायी पुलों के निर्माण पर विशेष रूप से फोकस किया जा रहा है.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण सेतुओं के निर्माण को वरीयता के आधार पर निर्मित किया जाएगा, जिससे मार्गों की सुरक्षा के साथ ही यातायात के लिए स्थायी समाधान उपलब्ध हो सकेगा. लोकनिर्माण विभाग की तरफ से तैयार की गई कार्ययोजना के अनुसार वर्ष 2025-26 में जिन 3,235 बड़े व छोटे पुलों के निर्माण, नवनिर्माण, सुदृढ़ीकरण व विकास किया जाना है उनमें अधिक आबादी को लाभान्वित करने के लिए विशेष तौर पर वरीयता के आधार पर चिह्नित किया जाएगा.

यहां आवागमन की दूरी को घटाने और यातायात के उचित प्रबंधन के लिए जन प्रतिनिधियों के प्रस्ताव पर 10 किमी के मानक में शिथिलता दी जा सकती है. इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों के सार्वजनिक, धार्मिक या पर्यटन महत्व वाले स्थलों पर 10 किलोमीटर की शर्त लागू नहीं की जाएगी.

कार्ययोजना के अनुसार राज्य मार्ग व प्रमुख जिला मार्गों पर ऐसे पुल जिनकी चौड़ाई मार्ग से कम है और अन्य जिला मार्ग पर स्थित ऐसे ब्लैक स्पॉट्स जहां पर सेतुओं की चौड़ाई मार्ग की अपेक्षा कम है, उन पर विशेष रूप से फोकस किया जाएगा.

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