पटना: पटना हाईकोर्ट ने धनरुआ स्थित एक ईंट-भट्ठे पर दबंगों द्वारा किए गए कब्जे के मामले को गंभीरता से लेते हुए पटना के एसएसपी को चार सप्ताह के भीतर जांच कर रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया है. आरोप है कि इस कार्य में स्थानीय विधायक और पंचायत प्रमुख की भी मिलीभगत है. मंगलवार को जस्टिस संदीप कुमार ने सत्येंद्र प्रसाद की याचिका पर सुनवाई की.
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई: अधिवक्ता दीपक कुमार सिन्हा ने सत्येंद्र प्रसाद ने बताया कि याचिकाकर्ता का एक ईंटों का भट्टा धनरूआ में है. जिस पर वहां के स्थानीय दबंग लोगों ने जबरन कब्जा कर लिया है. स्थानीय विधायक और पंचायत प्रमुख उनकी सहायता कर रहे हैं. जमीन मालिक गणेश प्रसाद और अन्य 14 असामाजिक तत्वों ने 2 जेसीबी मशीन, 5 ट्रैक्टर, सॉइल मिक्सर मशीन, लाखों कच्चा पक्का इंट और अन्य सामान ऑफिस सहित कब्जा कर लिया है.
अब तक नहीं हुआ बयान दर्ज: अधिवक्ता दीपक कुमार ने कोर्ट को बताया कि 2020 में इस मामले प्रभावशाली लोगों की दबंगई के कारण इस घटना की प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की गयी. उन्होंने बताया कि जब याचिकाकर्ता ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की. तब जा कर कोर्ट के आदेश से प्राथमिकी दर्ज की गयी. 2023 से लेकर अब तक न तो सूचक का बयान दर्ज किया गया और न ही पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण भी किया.
चार सप्ताह बाद होगी सुनवाई: पुलिस द्वारा इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं किये जाने को कोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया. कोर्ट ने एसएसपी पटना को चार सप्ताह के भीतर अपने स्तर से जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया. इस मामले पर चार सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी.
छपरा निगम के कार्यपालक पदाधिकारी तलब: वहीं दूसरी ओर पटना हाईकोर्ट ने छपरा नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी को अगली सुनवाई में तलब किया है. नगर निगम छपरा की एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कलावती देवी की रिट याचिका पर जस्टिस डॉ. अंशुमान ने सुनवाई करते हुए को छपरा के कार्यपालक पदाधिकारी को 21 जुलाई 2025 को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया.
बकाया वेतन का भुगतान की शिकायत: कोर्ट ने नगर निगम छपरा की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कलावती देवी द्वारा दायर रिट याचिका पर यह आदेश पारित किया. जिसमें उन्हें बकाया वेतन का भुगतान न किए जाने की शिकायत की गई थी. इस मामले की सुनवाई 21 जुलाई 2025 को की जाएगी. आज सुनवाई के दौरान नगर निगम छपरा की ओर से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुए. इस कारण कोर्ट ने छपरा नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी को उस दिन स्वयं उपस्थित हो कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया.