पटना: भरण-पोषण के मामलों में न्यायालयों द्वारा अनुमान के आधार पर की जाने वाली राशि निर्धारण की प्रवृत्ति पर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने अपने हालिया निर्णय में स्पष्ट किया कि भरण-पोषण की राशि केवल किसी की सामाजिक स्थिति या अंदाजे के आधार पर तय नहीं की जा सकती. इसके लिए दोनों पक्षों की वास्तविक आय, संपत्ति, खर्च और जीवनशैली से जुड़ी ठोस जानकारी और साक्ष्य जरूरी हैं.
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई: दरअसल, बुधवार को यह निर्णय पटना हाईकोर्ट ने विनय कुमार शर्मा द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई के दौरान सुनाया गया. जिसमें उन्होंने फैमिली कोर्ट भागलपुर द्वारा उनकी पत्नी रूही शर्मा को 15 लाख रुपये स्थायी भरण-पोषण देने के आदेश को चुनौती दी थी.
कोर्ट को आय की नहीं दी जानकारी: कोर्ट ने तलाक को उचित ठहराते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच पांच वर्षों से अधिक समय से कोई वैवाहिक संबंध नहीं था और रिश्ते में क्रूरता व परित्याग के पर्याप्त प्रमाण मौजूद थे. हालांकि कोर्ट ने पाया कि भरण-पोषण की राशि तय करते समय न तो पति और न ही पत्नी ने अपनी आय, संपत्ति और दायित्वों की जानकारी अदालत को दी थी
आय और संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य: इसके बावजूद फैमिली कोर्ट ने 15 लाख रुपये की राशि तय कर दी, जिसे हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रजनीश बनाम नेहा मामले के संदर्भ में असंगत माना. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि दोनों पक्षों द्वारा आय और संपत्ति का विवरण देना अनिवार्य है, ताकि निष्पक्ष रूप से भरण-पोषण निर्धारित किया जा सके.
पुनःविचार के लिए भेजा फैमिली कोर्ट: न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी और न्यायमूर्ति एस. बी. पी. सिंह की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के आदेश को भरण-पोषण के हिस्से में दोषपूर्ण मानते हुए इस हिस्से को पुनः विचारार्थ पारिवारिक न्यायालय को वापस भेज दिया.