गैरसैंण: रजत जयंती समारोह में आंदोलनकारियों का हंगामा, सीएम की ओढ़ाई शॉल जमीन पर फेंकी

गैरसैंण: उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैण विधानसभा परिसर में रजत जयंती के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किये गए. इस अवसर पर सूबे के मुखिया सीएम पुष्कर सिंह धामी सहित शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत, क्षेत्रीय विधायक अनिल नौटियाल, विधायक सुरेश गड़िया, विधायक भरत चौधरी, विधायक प्रदीप बत्रा और जिला पंचायत अध्यक्ष दौलत बिष्ट ने रजत जयंती कार्यक्रम में प्रतिभाग किया. इस दौरान राज्य आंदोलनकारियों ने उचित सम्मान न मिलने पर मुख्यमंत्री धामी के सामने ही जमकर किया हंगामा.

राज्य आंदोलनकारियों का आरोप है कि जिस मंच पर मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक बैठे हैं, उस मंच पर आंदोलनकारियों को बैठाया जाना चाहिए था. उनका कहना था कि मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया. सिर्फ गले में एक शॉल ओढ़ाकर इतिश्री कर दी गई, जो राज्य आंदोलनकारियों का अपमान है. इसके विरोध में राज्य आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री द्वारा पहनाई गई माला व शॉल को सीएम के सामने ही जमीन पर फेंकने का ऐलान किया.

राज्य आंदोलनकारियों के इस ऐलान के बाद पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें काफी समझाने का प्रयास किया, लेकिन राज्य आंदोलनकारियों ने साफ शब्दों में कहा कि इस प्रकार का अपमान वो बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे. राज्य आंदोलनकारियों को जब पुलिस ने आगे नहीं बढ़ने दिया तो आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री द्वारा पहनाई गयी शॉल व माला को वहीं जमीन पर फेंक दिया. इस दौरान मंच से अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री धामी भी असहज दिखाई दिए.

इस दौरान राज्य आंदोलनकारी भूपेंद्र रावत ने आरोप लगाया कि उन्हें ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बुलाया गया था, लेकिन यहां बुलाकर मुख्यमंत्री ने राज्य आंदोलनकारियों का अपमान करने का काम किया है. भूपेंद्र रावत ने कहा कि एक बार भी शहीद आंदोलनकारियों व राज्य आंदोलनकारियों का नाम नहीं लिया गया. जिन आंदोलनकारियों की बदौलत ये उत्तराखंड राज्य बना उन्हें आज मंच पर सम्मानित करने के बजाय नीचे बैठाया गया, जबकि मंच पर उन लोगों को बैठाया गया जिन आंदोलनकारियों की बदौलत ये मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक बने हैं.

भूपेंद्र रावत ने कहा कि इन मंत्री और विधायकों से आज सवाल पूछा जाना चाहिए कि राज्य आंदोलन में इनकी क्या भूमिका रही और इनके परिवार से किसने राज्य आंदोलन में अपना बलिदान दिया. आज जो अपमान राज्य आंदोलनकारियों का किया गया है, उसकी घोर निंदा व भर्त्सना करते हैं.

हमारा सपना था कि शहीदों के सपनों का उत्तराखंड बने, लेकिन इन सरकारों ने आज पूरे उत्तराखंड को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है.
– भूपेंद्र रावत, राज्य आंदोलनकारी –

राज्य आंदोलनकारी सुरेश कुमार बिष्ट ने कहा कि आज उत्तराखंड का आंदोलनकारी दुखी है. आज गैरसैंण को कागजों में ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दी गयी है, लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

सुरेश कुमार बिष्ट ने कहा कि ग्रीष्मकालीन राजधानी की कभी किसी आंदोलनकारी व उत्तराखंड के जनमानस ने मांग ही नहीं की थी, लेकिन नेताओं ने अपने सैर सपाटे के लिए एक पिकनिक स्थल जरूर बना दिया है. आंदोलनकारियों का सपना था कि गैरसैंण उत्तराखंड की राजधानी बने, लेकिन आज सरकार ने गैरसैंण को नेपथ्य में डाल दिया है, जिससे आंदोलनकारी दुखी है.

आज सरकार द्वारा आंदोलनकारियों के लिए सम्मान समारोह रखा गया था. लेकिन सम्मान इस प्रकार किया जा रहा था कि जैसे आंदोलनकारी कोई भेड़ बकरी हों.
– सुरेश कुमार बिष्ट, राज्य आंदोलनकारी –

वहीं, राज्य आंदोलनकारी हरेंद्र कंडारी भी नाशुख नडर आए. उन्होंने कहा कि प्रसाशन द्वारा सम्मान के लिए उन्हें भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री के पास आंदोलनकारियों का सम्मान व उनकी बात सुनने का समय ही नहीं है. फिर ये सम्मान समारोह क्यों रखा गया?

हमने राज्य को बनाने की लड़ाई लड़ी है और 42 लोगों ने अपनी शहादत इस राज्य को बनाने के लिए दी. आंदोलनकारियों ने पुलिस के लाठी डंडे खाए हैं तब जाकर ये राज्य बना है. आंदोलनकारियों को न तो बैठने का उचित स्थान दिया गया, न ही उचित सम्मान. मुख्यमंत्री के पास शहीदों के नाम लेने तक का समय नहीं है और बात उत्तराखंड की करते हैं.
– हरेंद्र कंडारी, राज्य आंदोलनकारी –

हरेंद्र कंडारी ने कहा कि अगर इसी प्रकार सरकार का आंदोलनकारियों के प्रति ऐसा रवैया रहा तो बहुत जल्द इनका ये अहंकार इन्हें ले डूबेगा. इस तरह का अपनाम बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. बता दें कि उत्तराखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने पर प्रदेश सरकार उत्तराखंड रजत जयंती महोत्सव मना रही है. 1 नवंबर से शुरू कार्यक्रम 11 नवंबर तक जारी रहेंगे. 9 नवंबर को मुख्य कार्यक्रम देहरादून स्थित एफआरआई में आयोजित किया गया, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की. उन्होंने 8 हजार करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया. वहीं अगले दिन यानी आज प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन के प्रांगण में कार्यक्रम आयोजित किया गया था, तभी राज्य आंदोलनकारियों ये हंगा