‘लोक भवन’ हुआ उत्तराखंड का राजभवन, बदली गई नेम प्लेट, देखें पहली तस्वीर

देहरादून/नैनीताल: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) की स्वीकृति के क्रम में राजभवन को आधिकारिक रूप से नया नाम ‘लोक भवन’ दिया गया है. इस क्रम में आज मुख्य द्वार पर भी ‘लोक भवन’ नाम अंकित कर पुनः स्थापित किया गया है.

इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि संविधान में ‘लोक’ यानी जनता को सर्वोच्च स्थान दिया गया है. लोक ही राष्ट्र की शक्ति है, लोक ही लोकतंत्र की आत्मा है. राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि लोक भवन उत्तराखण्ड के नागरिकों के लिए आशा, संवेदनशीलता, पारदर्शिता और जनसेवा का केंद्र बनेगा.

राज्यपाल ने कहा कि ‘‘लोक भवन’’ जनता की सेवा की उस पवित्र भावना का प्रतीक है, जिसमें हर नागरिक इस भवन का अपना हिस्सा महसूस करें. उन्होंने कहा कि यह भवन केवल प्रशासनिक प्रतिष्ठान का प्रतीक नहीं, बल्कि उत्तराखण्ड के हर व्यक्ति की आकांक्षाओं, उम्मीदों और विश्वास का घर है. उन्होंने कहा हमारा संकल्प है कि लोक भवन सचमुच ‘लोक’ के लिए, ‘लोक’ के साथ और ‘लोक’ के समर्पण में कार्य करेगा.

देहरादून के साथ ही नैनीताल राजभवन का भी नाम बदला जाएगा. केंद्र सरकार की सहमति और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) गुरमीत सिंह की स्वीकृति के बाद देहरादून और नैनीताल स्थित राजभवन का नाम बदलकर ‘लोक भवन’ कर दिया गया है. 25 नवंबर को भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी पत्र के आधार पर राज्यपाल सचिव रविनाथ रमन ने इसकी औपचारिक अधिसूचना जारी की. इसके साथ ही अब ‘राजभवन उत्तराखंड’ की जगह ‘लोक भवन उत्तराखंड’ आधिकारिक नाम हो गया है. राज्य सरकार के अनुसार यह बदलाव ‘जनकल्याण केंद्रित शासन’ की भावना को दर्शाता है. प्रशासन को अधिक लोकतांत्रिक स्वरूप देने की दृष्टि से उठाया गया कदम है.

ब्रिटिश काल की ‘समर कैपिटल’ परंपरा: ब्रिटिश शासन के दौरान गर्मियों में कुमाऊं कमिश्नर और उच्च अधिकारी यहीं ठहरते थे. 1900 के दशक की शुरुआत में यह स्थान अंग्रेजी प्रशासन की गर्मियों की सत्तास्थली बन गया था. वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद नैनीताल राजभवन राज्यपाल का आधिकारिक ग्रीष्मकालीन आवास बना. इसके अलावा यहां प्रदेश के अनेक महत्वपूर्ण निर्णय, बैठकें और विदेशी प्रतिनिधिमंडलों की मेजबानी होती रही है.