पटना HC से सीएम नीतीश कुमार को बड़ी राहत, राष्ट्रगान अपमान मामले में आदेश निरस्त

पटना : पटना हाईकोर्ट ने अंर्तराष्ट्रीय खेल सेपक टकरा के दौरान राष्ट्रगान का अपमान किये जाने के आरोप के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज परिवादपत्र सहित प्रस्तावित अभियुक्त नोटिस आदेश को निरस्त कर दिया. जस्टिस चंद्रशेखर झा ने मुख्यमंत्री की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसे अपने 23 पन्ने के आदेश में परिवादपत्र सहित प्रस्तावित अभियुक्त बनाने के लिए जारी नोटिस आदेश को निरस्त कर दिया.

‘मुझे गहरी ठेस पहुंची’ : बता दें कि बेगूसराय के विकास पासवान ने एक परिवादपत्र दायर कर आरोप लगाया कि 20 मार्च 2025 को टीवी चैनल, यू-ट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पर दिन के लगभग पौने दो बजे प्रसारण देख रहा था. उसने देखा कि विश्व कप सेपक टकरा के कार्यक्रम के उद्घाटन के समय राष्ट्रगान के गायन के दौरान मुख्यमंत्री अपने बगल में खड़े एक व्यक्ति से बात कर रहे थे, जो राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 3 के तहत दंडनीय अपराध है. उनके इस आचरण से परिवादी को गहरी ठेस पहुंची.

‘छवि को धूमिल करने का प्रयास’ :मुख्यमंत्री की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि 2005 से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं. उनकी छवि को धूमिल करने के लिए राजनीतिक प्रेरणा के तहत परिवादपत्र दायर किया गया है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जब परिवादपत्र दायर हुआ था, उस समय नियमित सीजेएम विशेष अवकाश पर थे और उनकी जगह पर प्रभारी सीजेएम के रूप में न्यायिक मजिस्ट्रेट मयंक कुमार पांडे थे.

 

मजिस्ट्रेट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) की धारा 212 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए आगे की कार्रवाई के लिए 25 मार्च 2025 की तारीख तय की. उनका कहना था कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जल्दबाजी में बीएनएसएस की धारा 212 (2) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए मामले को आगे की जांच, परीक्षण और निपटाने के लिए अपने कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया.

पीके शाही ने बताया कि परिवादी का बयान दर्ज किए बिना ही प्रस्तावित आरोपी के रूप में नोटिस जारी करने का आदेश जारी कर दिया. उन्होंने कानून का हवाला देते हुए बताया कि शपथ पर परिवादी और गवाहों का बयान लेने के बाद प्रस्तावित आरोपी के रूप में बनाये गये आरोपी को नोटिस जारी करना है. लेकिन कानून का पालन किये बिना ही प्रस्तावित आरोपी के रूप में नोटिस जारी करना पहली नजर में अवैध है.

HC ने निरस्त किया मामला : पीके शाही ने परिवादपत्र का हवाला देते हुए कहा कि परिवादी ने स्वयं स्वीकार किया है कि राष्ट्रगान गायन के दौरान मुख्यमंत्री खड़े थे और मुस्कुराते हुए ‘प्रणाम’ कर रहे थे. जो कि अपने आप में कोई अपराध नहीं है. कोर्ट ने माना कि कानूनी प्रावधानों की अनदेखी करके कानून के स्थापित सिद्धांतों के विपरीत प्रस्तावित नोटिस जारी किया गया है. कोर्ट ने परिवादपत्र सहित प्रस्तावित नोटिस को निरस्त कर दिया