Tuesday, June 10, 2025
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BIHAR WOMEN COMMISSION CHAIRPERSON: नारी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटूंगी’, पद संभालने के बाद बोलीं महिला आयोग की अध्यक्ष

पटना: बिहार राज्य महिला आयोग को लंबे समय के बाद नई दिशा और नेतृत्व मिला है. सोमवार को आयोग की नई अध्यक्ष प्रोफेसर अप्सरा ने अपनी टीम के साथ पटना स्थित आयोग कार्यालय में पदभार ग्रहण किया. पदभार ग्रहण के साथ ही उन्होंने महिला हितों की रक्षा के लिए गंभीरता से काम शुरू करने का संकल्प जताया. उन्होंने कहा कि वह पहले आयोग के बायलॉज का अध्ययन करेंगी, ताकि अपने अधिकारों और कर्तव्यों की गहराई से समझ हासिल कर सकें.

लंबित मामलों की करेंगी समीक्षा: प्रो. अप्सरा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि वह दो दिन के भीतर राज्य भर में महिला आयोग से संबंधित लंबित मामलों की समीक्षा करेंगी और इसके बाद एक नई रणनीति के साथ काम की शुरुआत करेंगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता लंबित मामलों का त्वरित निपटारा होगा. इसके लिए ज़रूरत पड़ी तो विभिन्न जिलों में महिला आयोग के कैंप भी लगाए जाएंगे. इस कदम से न केवल न्याय प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि पीड़ित महिलाओं को राहत भी शीघ्र मिल सकेगी.

परिवार में सुलह करवाने पर जोर: नई अध्यक्ष प्रो अप्सरा ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि अधिक से अधिक मामलों में आपसी सुलह और समझौता कराया जाए ताकि परिवार टूटने की स्थिति से बचाया जा सके. उन्होंने ये भी कहा कि महिला आयोग को लेकर समाज में जो धारणा है कि यह संस्था परिवार तोड़ने का काम करती है, उसे तोड़ना उनका मुख्य उद्देश्य रहेगा. वह काउंसलिंग के माध्यम से परिवार जोड़ने का काम करेंगी. महिला आयोग को एक न्यायप्रिय और संवेदनशील संस्था के रूप में स्थापित करने की दिशा में वे पूरी ईमानदारी से काम करेंगी.

जेंडर सेंसटाइजेशन को लेकर होगा जागरूकता कैंप: महिलाओं और नाबालिग बच्चियों पर हो रही यौन हिंसा के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रो. अप्सरा ने कहा कि इसके पीछे समाज की मानसिकता और दृष्टिकोण का गिरावट एक प्रमुख कारण है. इसे बदलने के लिए राज्यभर में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. इसके लिए वह शिक्षा विभाग सहित अन्य संबद्ध विभागों का सहयोग लेंगी. उन्होंने कहा कि जेंडर सेंसटाइजेशन को लेकर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कैंप आयोजित किए जाएंगे ताकि युवा पीढ़ी में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान की भावना विकसित हो.

“महिलाओं के हक और न्याय के लिए जिलों में कैंप लगाकर लंबित मामलों का निष्पादन किया जाएगा. महिलाओं की सुरक्षा और न्याय के लिए अगर लीक से हटकर फैसला लेना होगा तो जरूर लूंगी. आयोग और सरकार की ओर से लगातार कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन मेरा मानना है कि जब तक महिलाओं को समाज में सम्मान और सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक समावेशी विकास की बात अधूरी रहेगी.”- प्रो. अप्सरा मिश्रा, अध्यक्ष, बिहार राज्य महिला आयोग

साल 1999 से जेडीयू से जुड़ी रहीं: राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो प्रोफेसर अप्सरा वर्ष 1999 से जनता दल यूनाइटेड से जुड़ी रही हैं. उन्होंने छात्र जेडीयू में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई और लगातार छह वर्षों तक उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहीं. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में संगठन के लिए काम किया और पार्टी के लिए समर्पित भावना से वर्षों तक सेवा दी है. इस नई जिम्मेदारी के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और अपने क्षेत्र के विधायक और मंत्री विजय चौधरी के प्रति आभार जताया.

पार्टी के प्रति निष्ठा और ईमानदारी का परिणाम: प्रो. अप्सरा ने कहा कि यह उनकी ईमानदारी और संगठन के प्रति समर्पण का ही प्रतिफल है कि उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. अब जब उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि राज्य में कहीं भी महिलाओं पर अत्याचार हो, वहां उन्हें न्याय मिले तो वह इसे पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ निभाएंगी.

मुजफ्फरपुर मामले पर तीखी प्रतिक्रिया: मुजफ्फरपुर में हाल ही में घटित दुष्कर्म की घटना पर भी उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि वह स्वयं अपनी टीम के साथ पीड़ित परिवार से मिलने जाएंगी और मामले की गंभीरता से पड़ताल करेंगी. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए न केवल कड़ी कार्रवाई जरूरी है, बल्कि समाज में जागरूकता और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित माहौल का निर्माण भी जरूरी है. यह सब तभी संभव है जब समाज के लोग संवेदनशील हों. इसके लिए महिलाओं बच्चियों के प्रति गलत भावना रखने वाले लोगों का विरोध करें और उन्हें सामाजिक स्वीकार्यता ना दें.

आयोग में लगभग 6000 लंबित मामले: गौरतलब है कि वर्तमान समय में बिहार राज्य महिला आयोग के पास महिलाओं से जुड़े लगभग 6000 मामले लंबित हैं. ऐसे में प्रोफेसर अप्सरा की नियुक्ति एक नई उम्मीद के रूप में देखी जा रही है. एक प्राइवेट कॉलेज में शिक्षिका रही प्रोफेसर अप्सरा न केवल इतिहास, कंप्यूटर साइंस और पत्रकारिता में मास्टर्स कर चुकी हैं, बल्कि उनके पास प्रशासनिक सोच और सामाजिक सरोकारों को लेकर गहरी समझ भी है. बिहार के बिजली विभाग में सेक्सुअल हैरेसमेंट कमेटी में गैर सदस्य के रूप में रही है.

 

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