छपरा (सारण): रेलवे क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से बिहार के सारण के मढ़ौरा से पहले अत्याधुनिक रेल इंजन को रवाना किया गया. यह इतिहास में पहली बार होगा कि बिहार में बना कोई इंजन विदेश भेजा जाएगा.
मढ़ौरा का इंजन पहुंचा गिनी: लगभग 3000 करोड़ की लागत से हुई 140 लोकोमोटिव की इस ऐतिहासिक डील ने न केवल रेलवे के बुनियादी ढांचे को मजबूती दी है, बल्कि मेक इन इंडिया और स्थानीय रोजगार को भी नई दिशा दी है.
150 इंजन भेजा जाएगा गिनी: सारण जिले का मढ़ौरा जो कभी बिहार का मैनचेस्टर कहलाता था. भारतीय रेलवे के इतिहास में बिहार को एक नया चैप्टर जोड़ने का मौका मिला है. यह चैप्टर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में जोड़ा जाएगा. भारतीय रेलवे पहली बार छपरा जिले के मढ़ौरा रेल इंजन कारखाने से पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी को रेल इंजन निर्यात करेगा. गिनी को अगले तीन सालों में 150 इंजन भेजे जाएंगे.
इंजन पर नहीं लिखा जाता मेड इन मढ़ौरा: मढ़ौरा में असेंबल्ड इंजन पर मेड इन गांधीधाम गुजरात और उत्तर प्रदेश लिखा जाता है. इसको लेकर भी यहां पर काफी राजनीति हुई लेकिन आज भी किसी भी इंजन पर मेड इन मढ़ौरा नहीं लिखा जाता है. इस लोकोमोटिव फैक्ट्री में बना. इंजन पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी को निर्यात किया जा रहा है.
मढ़ौरा में बन चुका है 729 शक्तिशाली डीजल इंजन: इस फैक्ट्री की स्थापना 2018 में की गई थी. 2018 में स्थापित यह संयंत्र अब तक 729 शक्तिशाली डीजल इंजन बना चुका है. इनमें 4500 एचपी के 545 और 6000 एचपी के 184 इंजन शामिल हैं. 26 मई को दक्षिण अफ्रीका के गिनी देश के तीन मंत्रियों ने संयंत्र का दौरा किया था. इसके बाद 140 लोकोमोटिव इंजनों की डील फाइनल की गयी थी.
“हमारे देश का इंजन दूसरे देश में जा रहा है. भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है. बहुत खुशी की बात है. मेरे देश की प्रगति होते रहे. यहां के नौजवानों को नौकरी मिले और बेरोजगारी खत्म हो.” – वीरेंद्र यादव, मढ़ौरा
ये अधिकारी मौजूद थे: उद्घाटन के मौके पर रेल अधिकारियों में वीपी सिंह, एडिशनल मेंबर ट्रैक्शन, पंकज शर्मा प्रिंसिपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रेलवे बोर्ड, संजय सिंहल,एमडी संदीप सालोट,डीआरएम अजय सिंह, इंजन को के जाने वालों में सहायक लोको पायलट श्वेता कुमारी लोको पायलट दिलीप कुमार आदि मौजूद थे.
2018 में स्थापित हुई थी फैक्ट्री: इस फैक्ट्री की स्थापना 2018 में की गई थी. 2018 में स्थापित यह संयंत्र अब तक 729 शक्तिशाली डीजल इंजन बना चुका है. इनमें 4500 एचपी के 545 और 6000 एचपी के 184 इंजन शामिल हैं.
”गिनी को 140 इंजनों का निर्यात किया जाएगा. कुल 3000 करोड़ का ऑर्डर है. इसमें वेबटेक की 74% और रेलवे की 26% हिस्सेदारी है. इस लोको में कई नए फीचर्स हैं. इसका प्रपोर्सल सिस्टम एडवांस्ड एसी बेस्ड है, इसमें री जेनरेटिंग ब्रेकिंग सिस्टम है. कैब में काफी मोडिफिकेशन किया गया है. इसमें ड्राइवर के लिए रेफ्रिजरेटर और माइक्रोवेव ओवेन है.”- मनीष कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मढ़ौरा लोकोमोटिव फैक्ट्री
मढ़ौरा कारखाना में बना इंजन: मढ़ौरा का कारखाना पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप मॉडल पर बना है. इसे अमेरिकी कंपनी वैबटेक और भारतीय रेलवे मिलकर चलाते हैं. गिनी ने एक ग्लोबल टेंडर निकाला था, जिसे इस कारखाने ने जीता. ये इंजन गिनी में लोहे की खदानों से माल ढोने के काम आएंगे. ये 4,500 हॉर्स पावर के इंजन हैं. इनमें कई सुविधाएं हैं, जैसे विंडशील्ड हीटिंग, इंसुलेटेड छत, टॉयलेट और एयर कंडीशनिंग.