पटना: बिहार में एक सप्ताह पहले मॉनसून ने दस्तक दी. अभी पूरे प्रदेश में सक्रिय है, लेकिन मानसून की बारिश जून महीने में काफी कम हुई है. प्रदेश में अगले एक सप्ताह तक मानसून की सक्रियता बनी हुई है. इस दौरान मेघ गर्जन और वज्रपात की भी प्रबल संभावना दक्षिण और पूर्वी बिहार के इलाकों में बन रही है.
अभी सामान्य से कितनी कम हुई बारिश: मौसम वैज्ञानिक आनंद शंकर ने बताया कि जून महीने में मानसून में 17 तारीख को दस्तक दी और यह सामान्य अवधि है. मानसून ने प्रदेश में समय पर ही एंट्री की लेकिन अभी बारिश में सामान्य से 26 प्रतिशत की कमी है. बहरहाल अभी एक सप्ताह के लिए मानसून काफी सक्रिय है और 26 और 27 जून को बारिश की स्थिति में थोड़ी कमी देखने को मिलेगी लेकिन उसके बाद फिर अगले दो से तीन दिनों तक पूरे प्रदेश में बारिश की स्थिति बनी हुई है.
कैसी रहेगी मानसून की बारिश: अभी के समय बारिश की स्थिति थोड़ी स्थिर हुई है और पूरे प्रदेश में धूप-छांव का खेल जारी रहेगा. दिन में किसी समय हल्के से मध्यम स्तर की बारिश हो सकती है. जून महीने में जितना दिन बचा हुआ है मानसून काफी सक्रिय दिख रहा है. आने वाले दिनों में जुलाई महीने की मानसून की स्थिति भी अपडेट की जाएगी.
दक्षिण और पूर्वी बिहार वज्रपात से सावधान: मौसम वैज्ञानिक आनंद शंकर ने बताया कि दक्षिण बिहार में जो झारखंड से सटे जिले हैं जैसे कैमूर, सासाराम, औरंगाबाद, गया, बांका जो प्लेट्यु रीजन है, यह क्षेत्र वज्रपात की घटनाओं को लेकर बहुत ही संवेदनशील है और इन क्षेत्रों में जान माल की हानि भी अधिक होती है. इसके अलावा जो भौगोलिक क्षेत्र पूर्वी बिहार में सीमांचल और उसके आसपास के जिलों में बनते हैं, वह भी वज्रपात की घटनाओं को लेकर संवेदनशील है. इसके अलावा पूर्वी चंपारण और गोपालगंज के जो सीमावर्ती क्षेत्र हैं, वहां भी वज्रपात से जान माल की क्षति काफी होती है. जबकि दक्षिण बिहार के क्षेत्र की तुलना में यहां वज्रपात की घटनाएं कम होती है.
कब बढ़ती है वज्रपात की घटनाएं: आनंद शंकर ने बताया कि जब पहली बारिश होती है उस समय वज्रपात की घटनाएं बहुत अधिक होती है. इसके अलावा मानसून के समय जब 1 से 2 दिन के गैप में बारिश की स्थिति बनती है, खासकर इस दौरान बीच में जब धूप और ह्यूमिडिटी से गर्मी बढ़ जाती है, उसके बाद जब बारिश होती है तो उस समय वज्रपात की घटनाओं की संभावनाएं काफी प्रबल हो जाते हैं. ऐसे में लोगों को गर्मी के बाद जब अचानक बारिश का मौसम बन रहा होता है उसे समय सावधान हो जाना चाहिए. लोगों को इस समय तुरंत पक्के मकान के शरण में जाना चाहिए.
सचेत पोर्टल से जारी होती है मौसम की चेतावनी: आनंद शंकर ने बताया कि भारत सरकार मौसम विज्ञान केंद्र की सहायता से सचेत पोर्टल के जरिए मौसम संबंधित चेतावनी जारी करता है. इसके तहत मौसम जहां खराब हो रहा होता है, यानी जहां बारिश और वज्रपात की स्थिति बन रही होती है, वहां आसपास के सेलफोन टावरों के जरिए उस क्षेत्र के सभी मोबाइल फोन पर चेतावनी का मैसेज भेजा जाता है और लोगों को अलर्ट किया जाता है. एनडीएमएईडब्ल्यू से अलर्ट मैसेज लोगों को जाता है और यह बहुत ही सटीक होता है.
मौसम विभाग की चेतावनी को गंभीरता से लें: आनंद शंकर ने बताया कि वज्रपात की घटनाओं के सबसे अधिक शिकार किसान और पशुपालक होते हैं. अभी के समय धान की रोपाई का समय चल रहा है, ऐसे में खेत में किस होते हैं और खेत में दूर-दूर तक बारिश और वजह बात की घटनाओं से बचने के लिए शरण लेने की जगह नहीं होती है. ऐसे में जरूरी है कि मोबाइल फोन पर जो अलर्ट मैसेज आते हैं उसे देखते रहें और उसे गंभीरता से संज्ञान ले.
“भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र के अधिकारी की वेबसाइट और के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अपडेट को देखते रहें. मौसम विभाग अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौसम की सभी सटीक जानकारी ससमय अपडेट करता है.”-आनंद शंकर, मौसम वैज्ञानिक
वज्रपात की घटनाओं पर एनजीटी ने लिया है संज्ञान: गौरतलब है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने बिहार में लगातार बढ़ रही वज्रपात की घटनाओं और उससे हो रही मौतों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार समेत विभिन्न एजेंसियों को नोटिस जारी किया है. यह कार्रवाई अधिकरण ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत संज्ञान लेते हुए की, जिसमें बताया गया था कि राज्य में 2016 से अब तक वज्रपात से लगभग 2,000 लोगों की जान जा चुकी है.
क्या कहता है रिपोर्ट: बता दें कि रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ताड़ के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण आकाशीय बिजली अब खुली जगहों पर गिरने लगी है, जिससे जान-माल का नुकसान बढ़ा है. NGT ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय और बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग से इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
7 अगस्त को अगली सुनवाई: NGT की पीठ, जिसमें न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल शामिल हैं, पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 7 अगस्त 2025 तय की है. अधिकरण ने संबंधित एजेंसियों से यह जानना चाहा है कि क्या ताड़ के पेड़ों की कटाई और वज्रपात से मौतों के बीच कोई सीधा संबंध है, और अगर है तो इस पर रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. यह मामला अब पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि यह न केवल जीवन सुरक्षा बल्कि पारिस्थितिक संतुलन से भी जुड़ा हुआ है.