Sunday, June 22, 2025
Homeबिहारअब नहीं गिरेंगे पुल! ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी लागू करने वाला पहला राज्य...

अब नहीं गिरेंगे पुल! ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी लागू करने वाला पहला राज्य बना बिहार

पटना: साल 2024 में बिहार में पुल गिरने की 12 घटनाएं सामने आयी है. राज्य के विभिन्न जिलों में 15 दिनों के अंदर 12 छोटे-बड़े पुल ध्वस्त हो गए थे. इससे सरकार की कार्यशैली पर सिर्फ विपक्ष ही बल्कि आम जनता भी सवाल उठाने लगे थे. इसको देखते हुए. राज्य सरकार ने नई व्यवस्था लागू करने का फैसला लिया है. बिहार पहला राज्य बना जिसने ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी लाने का काम किया है. बिहार पहला राज्य है जिसने पुल संधारण नीति को मूर्त दिया रूप.

दो संस्थान को जिम्मेदारी: इस नीति के तहत काम करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम को भी लगाया जा रहा है. आईआईटी दिल्ली और आईआईटी पटना को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. बिहार के तमाम बड़े पुलों के बारे आईआईटी सरकार को रिपोर्ट देगी. इसकी जानकारी पथ निर्माण विभाग के मंत्री नितिन नवीन ने दी.

नितिन नवीन ने कहा कि राज्य में विगत 18 वर्षों में पथ निर्माण विभाग के सड़कों पर 3968 बृहद् एवं लघु पुलों का निर्माण कराया जा चुका है. इसमें मेगा ब्रिज, मेजर ब्रिज एवं फ्लाई ओभर की संख्या 532 है. बड़ी संख्या में पुलों के निर्माण के पश्चात् कारगर प्रबंधन एवं संधारण महत्वपूर्ण हो जाता है.

संधारण की समुचित नीति के अभाव में पुलों के क्षतिग्रस्त होने के कारण अकस्मात दुर्घटना होने एवं आवागमन बाधित होने की संभावना बनती रहती है, जिससे आर्थिक नुकसान एवं जान-माल की हानि होने का खतरा बना रहता है.

“बिहार राज्य पुल प्रबंधन एवं संधारण नीति-2025 के तहत सभी पुलों/पुलियों का नियमित संधारण किया जाएगा. इस नीति के लागू होने से सतत संधारण से मरम्मत्ति के खर्च में काफी कमी आएगी एवं पुलों/पुलियों की स्थिति अच्छी बनी रहेगी. आम जनता को सुलभ एवं सुरक्षित सुविधा उपलब्ध होगी.” – नितिन नवीन, मंत्री, पथ निर्माण विभाग, बिहार

पथ निर्माण मंत्री ने बताया कि इस नीति अंतर्गत सर्वप्रथम विजुअल इंस्पेक्शन, नन डिस्ट्रक्टिव टेस्ट (NDT), सेंसर और ड्रोन कैमरा जैसे विभिन्न इमेंजिग टूल के माध्यम से पुलों का डाटा संग्रह करते हुए पुलों के विभिन्न घटकों की वास्तविक स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा.

प्रत्येक पुल की रेटिंग और स्थिति का आकलन कर ब्रिज हेल्थ इंडेक्स और मेंटेनेंस प्राइरोटी इंडेक्स (MPI) का मूल्यांकन किया जाएगा. इसके बाद पुलों की लम्बाई आधारित वर्गीकरण कर विहित प्रक्रिया अपनाते हुए हेल्थ कार्ड तैयार किया जाएगा.

बिहार सरकार के पथ निर्माण मंत्री ने कहा कि 60 मीटर से अधिक लम्बाई वाले पुलों का संधारण एवं प्रबंधन बिहार राज्य पुल निर्माण निगम करेगा. 60 मीटर या इससे कम लम्बाई वाले पुलों का संधारण एवं प्रबंधन संबंधित पथ प्रमंडलों द्वारा सम्पादित किया जाएगा.

नई व्यवस्था के अंतर्गत मौजूदा पुलों के संधारण की नीति दीर्घकालीन आउटपुट और परफॉरमेंस पर आधारित है. नई नीति का क्रियान्वयन ब्रिज मेंटेनेंट बाइंडिंग डॉक्यूमेंट (BMBD) के माध्यम से किया जाएगा. पुलों के संधारण हेतु विभागीय अभियंताओं की भूमिका निर्धारित की गई है.

7 स्तरों पर पुलों का संधारण: मंत्री ने बताया कि 7 स्तरों पर पुलों का संधारण किया जाएगा. प्रारंभिक सुधार, नियमित संधारण, सामयिक संधारण, लघु सुधार, विशेष मरम्मति, असाधारण मरम्मति, अप्रत्याशित मरम्मति, मौजूद रहेंगी.

पथ निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव मिहिर कुमार ने कहा कि इस नीति के अंतर्गत पथ निर्माण विभाग के पथों पर अवस्थित 250 मीटर से अधिक लम्बाई के पुलों थर्ड पार्टी ब्रिज सेफ्टी ऑडिट के कार्य हेतु, मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के पश्चात् नामांकन के आधार पर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), दिल्ली एवं पटना का चयन किया गया है.

वर्णित कार्य हेतु परामर्शी शुल्क की कुल राशि रू 16.61 करोड़ है. आईआईटी दिल्ली को मुख्य रूप से उत्तर बिहार की 40 पुलों एवं आईआईटी पटना को मुख्य रूप से दक्षिण बिहार की 45 पुलों की जिम्मेदारी दी गयी है. थर्ड पार्टी ब्रिज सेफ्टी ऑडिट के कार्य हेतु बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा लेटर ऑफ एक्सेपटेन्स (LOA) निर्गत किया जा चुका है.

“दोनों आई.आई.टी द्वारा मरम्मति कार्य के लिए प्राक्कलन भी तैयार किया जाएगा, जिसके आधार पर पुलों के रेट्रोफिटिंग और रिहैबिलिटेशन का कार्य बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा अन्य संवेदक के माध्यम से बिहार राज्य पुल प्रबंधन एवं संधारण नीति 2025 के अंतर्गत संपादित कराया जाएगा.” -मिहिर कुमार, प्रमुख सचिव, पथ निर्माण विभाग

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि इसके अलावा 250 मीटर तक के पुलों / पुलियों का फिजिकल कंडिशन सर्वे विभिन्न स्तर के विभागीय अभियंताओं द्वारा किया जा रहा है. 6 मीटर तक के पुलियों का कार्यपालक अभियंता, 6 मीटर से 60 मीटर तक अधीक्षण अभियंता और 60 मीटर से 250 मीटर तक मुख्य अभियंता द्वारा किया जा रहा है.

इस संबंध में विभाग के विभिन्न स्तर के लगभग 600 अभियंताओं को प्रशिक्षण दिया गया है. इसके अतिरिक्त आईआईटी, दिल्ली से दो मेगा पुलों आरा छपरा पुल एवं अरवल सहार पुल के लिए सेंसर टेक्नॉलोजी का उपयोग करते हुए रियल टाइम स्ट्रक्चर हेल्थ मॉनिटरिंग करने के लिए प्रस्ताव देने हेतु अनुरोध किया गया है. मेसर्स वाइटल एनवायरनमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, गुड़गांव के द्वारा समस्तीपुर जिलान्तर्गत बैरीयाही घाट पुल का डिजिटल ब्रिज सेफ्टी ऑडिट किया गया है.

 

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_imgspot_img

Most Popular