Thursday, June 19, 2025
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टेली-मानस: मानसिक समस्या को दूर करने के लिए तुरंत करें कॉल

दिल्ली: आज के दौर में मानसिक स्वास्थ्य एक बेहद गंभीर समस्या बनती जा रही है। मानसिक बीमारी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पीड़ित इंसान को समान्यतः समस्याओं के बारे में जानकारी भी नहीं रहती है। इस गंभीर समस्या से निदान और मानसिक स्वास्थ्य के समुचित समाधान के लिए विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 24X7 टेली-मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की शुरुआत की। इस मौके पर टोल फ्री नंबर- 14416 की शुरुआत की गई। टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग अक्रॉस स्टेट्स (टेली-मानस) पहल से लोग मानसिक समस्याओं के संबंध में कॉल कर सकते हैं।

परामर्श के लिए टोल फ्री नंबर हुआ जारी

केंद्र सरकार ने चौबीसों घंटे उपलब्ध टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर (14416) पूरे देश में स्थापित किया है, जिससे कॉल करने वाले सेवाओं का लाभ उठाने के लिए अपनी पसंद की भाषा का भी चयन कर सकते हैं। यह सेवा 1-800-91-4416 पर भी उपलब्ध है। इस नंबर पर किए गए कॉल को संबंधित राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्थित टेली-मानस सेल में भेजा जाएगा। सभी को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए सरकार की सोच के अनुरूप हर एक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में कम से कम एक टेली-मानस सेल स्थापित किया जाएगा, जिसके माध्यम से जरूरतमंदों को 24X7 टेली-मानसिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जाएगी।

IVRs के माध्यम से दी जाएगी सहायता और परामर्श

सरकार द्वारा स्थापित टेली- मानस को दो स्तरीय प्रणाली में संचालित किया जाएगा। इसके तहत टियर 1 में राज्य टेली-मानस शामिल हैं, जिनमें प्रशिक्षित परामर्शदाता और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल हैं। वहीं, टियर- 2 में शारीरिक परामर्श के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और अडियो -वीडियो परामर्श के लिए ई-संजीवनी के विशेषज्ञ शामिल होंगे। वर्तमान में 51 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश टेली मानस सेल के साथ 5 क्षेत्रीय समन्वय केंद्र हैं। सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में केंद्रीकृत इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम (IVRs) के माध्यम से बुनियादी सहायता और परामर्श प्रदान करने वाले प्रारंभिक रोलआउट को उपयोग के लिए तैयार किया जा रहा है। यह न केवल तत्काल मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में सहायता करेगा, बल्कि देखभाल की निरंतरता को बनाए रखेगा।

केंद्र चला रहा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम

भारत सरकार ने मानसिक रोग से निपटने के लिए देश में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है। इस गंभीर समस्या से निदान के लिए और मानसिक रोगीयों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) की शुरूआत की गई है। इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जरूरतों के अनुरूप इसमें जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को भी जोड़ा गया है। इस कार्यक्रम की नीति में दो योजनाओं, राज्य मानसिक अस्पतालों का आधुनिकीकरण और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मनोचिकित्सा विंग को शामिल किया गया है।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत क्षेत्रीय स्तर पर पूर्ण रूप से ध्यान देने के लिए देश के 704 जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की मंजूरी दी जा चुकी है। जिला स्तर पर मरीजों की सुविधा का ध्यान रखते हुए, जिले में 10 बेड की सुविधा देने का प्रावधान रखा गया है। इस कार्यक्रम का प्रयास है कि मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्तियों को स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित अन्य लोगों की तरह माना जाना चाहिए और उनके आसपास के वातावरण को पुनर्वास और समुचित उपचार से समाज में उनकी पूर्ण भागीदारी के अनुकूल बनाया जा सके।

कोरोना महामारी के मद्देनजर जरूरी पहल

कोरोना महामारी के मद्देनजर मानसिक स्वास्थ्य संकट को देखते हुए और एक डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य नेटवर्क स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता महसूस की जा रही थी। दरअसल, कोरोना महामारी के प्रभाव कम होने के बाद मानसिक रोग संबंधित समस्याओं में बढ़ोतरी देखी गई। इसके मद्देनजर टेलीमानस कार्यक्रम को भी व्यापक पैमाने पर लागू किया जा रहा है। इसमें 23 टेली-मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का एक नेटवर्क शामिल है, जिसका राष्ट्रीय मानसिक जांच एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस) नोडल केंद्र है और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान-बैंगलोर प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करता है। इस कार्यक्रम के जरूरतों के अनुरूप IIT बेंगलुरु और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे।

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