GST Council की 42वीं बैठक में राज्यों के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति के भुगतान को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया था। इसके बाद मुद्दे को अगली बैठक के लिए टाल दिया गया था। अब जीएसटी काउंसिल की सोमवार 12 अक्टूबर 2020 को होने वाली बैठक में इस मसले पर फैसला लिया जा सकता है।
नई दिल्ली: जीएसटी काउंसिल (GST Council) की 43वीं बैठक कल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होगी। जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर कुछ राज्यों और केंद्र सरकार में मतभेद के बीच कल सोमवार 12 अक्टूबर 2020 को जीएसटी काउंसिल की 43वीं बैठक हो रही है। जीएसटी क्षतिपूर्ति में कमी के कारण राज्यों और केंद्र को वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बैठक में जीएसटी काउंसिल कई अहम मुद्दों पर चर्चा करेगी। राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति नहीं मिलने पर राजस्व कमी की भरपाई करने के लिए दो विकल्प दिए गए थे। गैर-भाजपा शासित राज्यों ने इनमें से एक कर्ज लेने के विकल्प को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कल की बैठक में जबरदस्त बहस होने की पूरी संभावना है।
उधार लेकर राजस्व कमी की भरपाई करने के विकल्प का विरोध करने वाले राज्यों का कहना है कि केंद्र सरकार को पूरा कर्ज लेकर राज्यों को क्षतिपूर्ति भुगतान करना चाहिए। केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि 10 राज्य शर्तों के मुताबिक मौजूदा साल में केंद्र सरकार की ओर से पूरी रकम देने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए केंद्र को लोन लेना चाहिए। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर केंद्र विवाद निपटारा तंत्र (Dispute Resolution Mechanism) की स्थापना से इनकार करता है और उधार के विकल्प को वोटिंग के जरिये पारित कराने की कोशिश करता है तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
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वित्त मंत्री ने 5 अक्टूबर को 20 हजार करोड़ देने का किया था ऐलान
केंद्र सरकार के अनुसार, जीएसटी कलेक्शन में अभी 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी है। इनमें से 97,000 करोड़ रुपये जीएसटी का बकाया है, जबकि बाकी कोरोना वायरस की वजह से बाकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 अक्टूबर को ऐलान किया था कि राज्यों को देर रात तक 20,000 करोड़ रुपये दे दिया जाएगा। अगस्त 2020 में हुई काउंसिल की बैठक में केंद्र ने जीएसटी की भरपाई के लिए दो विकल्प सुझाए थे। एक, राज्यों को एक स्पेशल विंडो मुहैया कराई जाएगी, जिसके तहत वे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से लोन ले सकते हैं। इसमें कम ब्याज दर पर राज्यों को 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज मिल सकता है। इस रकम को 2022 तक सेस कलेक्शन से जमा किया जा सकता है।
10 गैर-भाजपा शासित राज्यों ने उधार लेने के विकल्प से किया इनकार
केंद्र ने दूसरे के विकल्प के तौर पर कहा था कि स्पेशल विंडो के तहत पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये लोन लिया जा सकता है। इस मुद्दे पर देश के 21 राज्य समर्थन कर रहे हैं। उनके पास सितंबर के मध्य तक विकल्प चुनकर 97,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का मौका था। हालांकि, 10 गैर-भाजपा शासित राज्यों ने इस विकल्प को मानने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि केंद्र लोन लेकर उन्हें जीएसटी मुआवजे की भरपाई करे। अभी तक आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, पुड्डुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और यूपी ने कर्ज का विकल्प चुन लिया है।
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