दिल्ली: किसी भी वस्तु या उत्पाद की गुणवत्ता बहुत मायने रखती है, गुणवत्ता देश को पहचान भी दिलाती है। ऐसे में पिछले 25 वर्षों में, क्यूसीआई (QCI) ने मान्यता और गुणवत्ता संवर्धन के कार्यों को संभालने का काम कर रही है। सरकार के अनुसार, क्यूसीआई (भारतीय गुणवत्ता परिषद) ने वैश्विक परिदृश्य में प्रवेश करना शुरू कर दिया और मंचों और संगठनों के साथ सदस्यता स्थापित की, जिन्होंने यह तय किया कि व्यापार और कारोबार को वैश्विक वातावरण में कैसे संचालित किया जाना है। इससे भारत में गुणवत्ता भरोसे से संबंधित आर्थिक गतिविधियों के परिणामों की दुनिया भर में समानता सुनिश्चित हुई।
क्या है क्यूसीआई?
भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) 1997 में भारत सरकार और भारतीय उद्योग से प्रतिनिधि के रूप में तीन प्रमुख उद्योग संघों यानि एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम), भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के द्वारा संयुक्त रूप स्थापित किया गया। इसके प्रथम अध्यक्ष रतन टाटा थे। गुणवत्ता को गति देने के उद्देश्य से यह अस्तित्व में आया था।
क्यूसीआई और उससे जुड़े संगठन कैसे करते हैं कार्य
गति, पैमाने और डिजिटलीकरण के साथ-साथ, निरंतर मानकीकरण और आवश्यक सुधार के सुझावों के साथ भारत को वैश्विक स्तर के समकक्ष बनाने में क्यूसीआई का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मूल्यांकन में वास्तविक वृद्धि वर्ष 2015 के बाद हुई, जब सरकार ने क्यूसीआई जैसे संगठनों पर तेजी से भरोसा करना शुरू कर दिया जिससे क्यूसीआई (QCI) के दायरे में मान्यता प्राप्त संगठन बिना किसी डर या पक्ष के स्वतंत्र प्रतिक्रिया का एक स्तर दे सके। मान्यता देने और गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से संगठन निष्पक्ष जो देते हैं जोकि बहुत महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली में क्यूसीआई के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) से देश में सभी विभिन्न गुणवत्ता और मानक संगठनों को आपस में मिलाने का प्रयास करने को कहा जिससे वे भारत में एक विश्वस्तरीय गुणवत्ता प्रणाली के निर्माण की दिशा में मिलकर काम कर सकते हैं और गुणवत्ता को एक राष्ट्रीय मिशन बना सकते हैं। ‘गुणवता से आत्मनिर्भरता’ के आदर्श वाक्य के साथ, इस कार्यक्रम ने क्यूसीआई द्वारा सेवाओं, उत्पादों और जीवन की गुणवत्ता प्रदान करने के प्रयासों की सराहना की।
गुणवत्ता ब्रांड इंडिया को करेगी परिभाषित
उन्होंने कहा कि गुणवत्ता आने वाले समय में ब्रांड इंडिया को परिभाषित करेगी। उन्होंने देखा कि गुणवत्ता पर कभी भी लागत पर नहीं आती है, बल्कि लागत बचाई जाती है और उत्पादकता में सुधार होता है। उन्होंने राष्ट्र के नागरिकों से आग्रह किया कि वे जो कुछ भी करते हैं उसे बेहतर, अधिक कुशल, अधिक किफायती, अधिक उपयोगी और अधिक मापन-योग्य तरीके से करने के लिए दृढ़ संकल्प को आत्मसात करें। गोयल ने कहा, “अगर 2047 तक विकसित देश बनना है तो गुणवत्ता की संस्कृति को राष्ट्र में शामिल करना होगा। गुणवत्ता का यह विचार वास्तव में इस देश को किसी भी चीज की तुलना में तेजी से बदल सकता है।”
क्यूसीआई की भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका
क्यूसीआई के अध्यक्ष आदिल जैनुलभाई के अनुसार, क्यूसीआई को अपने विभिन्न मान्यता बोर्डों के माध्यम से इस उपलब्धि को पाने में अपनी भूमिका निभाने का गर्व है और इसके द्वारा भारत के नागरिकों को मिलने वाली सेवाओं के मूल्यांकन और माप से वो गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने में सक्षम होते हैं। क्यूसीआई को उम्मीद है कि वह 2047 तक भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए अग्रणी रहकर उसके विकास में और भी बड़ी भूमिका निभाएगा। आगे महासचिव डॉ आर पी सिंह ने टिप्पणी की, “हम उस चरित्र पर गर्व करते हैं जिसे हमने यहां क्यूसीआई में बढ़ावा दिया है – निडरता, दूरदर्शिता, नेतृत्व और बेहतर कल के लिए बदलाव लाना। हमने अपने काम में तेजी के साथ, उच्च और बेहतर विश्वसनीयता के लिए प्रौद्योगिकी को शामिल किया है। हम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता के बीच के अंतर को दूर करना चाहते हैं और भारत को गुणवत्ता में अग्रणी बनाना चाहते हैं।
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