कारगिल महिला योद्धा पायलट ‘गुंजन सिंह’

दिल्ली: फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन सैन्य परिवार से ताल्लुक रखती थीं। 1994 में भारतीय वायुसेना का पहले बैच तैयार हुआ, जिसमें 25 ट्रेनी पायलटों को शामिल किया गया। गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन उसी बैच में शामिल थीं। 1999 में उन्हें कारगिल युद्ध के जरिए देश की रक्षा का मौका मिला। हालांकि इस के पहले तक उन्होंने कभी फाइटर जेट नहीं उड़ाया था। लेकिन जब पाकिस्तान से जंग शुरू हुई तो वायुसेना में पायलटों की जरूरत पड़ी। गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन को तुरंत कारगिल जंग में शामिल होने के आदेश जारी हुए। दोनों महिला पायलट तो देश सेवा के लिए एक मौके की तलाश में ही थीं। दोनों युद्ध के दौरान घायल सैनिकों को सीमा से लाने, राशन की सप्लाई करने का काम करती थीं। उनके लिए केवल पहली बार फाइटर जेट उड़ाना चुनौती नहीं थी, बल्कि युद्ध क्षेत्र में पाकिस्तानी पोजीशन पर निगाह रखना और दुश्मन की मिसाइलों से बचते हुए निकलना भी चुनौती थी।

जंग के दौरान गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन ऐसे इलाकों से उड़ान भरती थीं, जहां पाकिस्तानी सेना की मिसाइलें तैनात थीं। उनके पास न तो आत्मरक्षा के लिए कुछ था और ना ही बड़े मिसाइलों का सामना करने के लिए उनके हेलिकॉप्टर क्षमतावान थे। उनके पास सिर्फ छोटे चीता हेलीकॉप्टर थे।

हवा से बातें करती ‘अवनि’

महिला पायलटों ने 1990 के दशक से भारतीय वायु सेना में सेवा की है, लेकिन तब केवल हेलीकॉप्टर या परिवहन विमान उड़ाने की अनुमति थी। लेकिन साल 2015 में पहली बार एयरफोर्स ने महिलाओं को फाइटर पायलट के तौर पर ट्रेनिंग देने की योजना बनाई, जिसके बाद साल 2016 में अवनि चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कंठ ने फाइटर पायलट बनने की ट्रेनिंग शुरू की। 2018 में अवनि चतुर्वेदी ने अकेले मिग 21 बाइसन विमान उड़ाकर इतिहास रच दिया था। उन्हें भारत की पहली महिला फाइटर पायलट बनने का गौरव भी प्राप्त है।

राफेल उड़ाने वाली पहली महिला पायलट

फ्रांस से साल 2020 में राफेल की पहली खेप भारत आई। राफेल लड़ाकू विमानों को अंबाला एयरबेस पर लैंड कराया गया। राफेल को उड़ाने की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना की महिला पायलट ‘शिवांगी सिंह’ को दी गई है। शिवांगी सिंह राफेल के स्क्वाड्रन गोल्डन ऐरो में पहली महिला फ्लाइट लेफ्टिनेंट के तौर पर शामिल हुई हैं। एमएससी पास करने के बाद साल 2015 में शिवांगी सिंह ने वायुसेना की परीक्षा पास की और डेढ़ साल की ट्रेनिंग की। साल 2017 में उन्हें देश की पांच महिला फाइटर पायलटों की टीम में लिया गया। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद शिवांगी मिग 21 की फाइटर पायलट बन गईं।

वायु सेना में होगी महिला अग्निवीरों की एंट्री

इंडियन एयरफोर्स में ऑफिसर रैंक में तो महिलाएं हैं लेकिन एयरमैन (सैनिक) रैंक में अभी तक एयरफोर्स में महिलाओं को शामिल नहीं किया गया है। पहली बार होगा जब महिलाएं सैनिक बनकर एयरफोर्स में शामिल होंगी। केंद्र सरकार द्वारा घोषित ‘अग्निपथ योजना’ के अंतर्गत वायु सेना में अगले साल से महिला अग्निवीरों की एंट्री हो जाएगी। यह जानकारी वायु सेना प्रमुख वीआर चौधरी ने 8 अक्टूबर को IAF के 90वें स्थापना दिवस से पहले वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने कहा कि अगले साल महिला अग्निवीरों को शामिल करने की योजना है। वायु सेना ने अगले साल अपनी भर्ती के हिस्से के रूप में लगभग 3,500 अग्निवीरों को शामिल करने की योजना बनाई है।

यह भी पढ़े: भारतीय वायु सेना दिवस 2022: IAF ने नई लड़ाकू वर्दी का अनावरण किया