Thursday, November 21, 2024
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ज्योतिषाचार्य राजीव अग्रवाल से जाने हरियाली तीज, व्रत, पूजन के नियम

लखनऊ: ज्योतिषाचार्य राजीव अग्रवाल से जाने 2022 मे पडने वाली हरियाली तीज व उसका महत्व।। इस त्यौहार मे अपने पति की लंबी उम्र के लिए औरतें हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। सावन महीने की शुक्लपक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला यह त्योहार इस बार 31 जुलाई रविवार को मनाया जाएगा। बता दें कि इस बार हरियाली तीज पर रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन औरतें और लड़कियां हाथों में मेहंदी रचाती हैं। महिलाएं 16 श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं ।

इस बार बन रहा है रवि योग का शुभ संयोग –
इस बार हरियाली तीज का व्रत काफी खास है । कहाँ जा रहा है कि इस बार रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। बता दें कि रवि योग 31 जुलाई दोपहर 2:20 बजे से 1 अगस्त सुबह 6:04 बजे तक रहेगा। इस बीच पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। हरियाली तीज व्रत रखने वालों के लिए पूजा करने का शुभ मुहूर्त 31 जुलाई सुबह 6:33 बजे से रात 8:33 बजे तक रहेगा।

हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने 108 जन्म लिए थे ।108वें जन्म में माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इसी कारण महिलाएं और लड़कियां हरियाली तीज में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। व्रत रखने वालों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
यह व्रत महिलाएं हरियाली तीज का व्रत अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं और भगवान से सुखद दाम्पत्य की कामना करती हैं। लड़कियां भी भगवान शिव जैसा पति प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखती हैं। व्रत में लड़कियां और औरतें हरे रंग के कपड़े और चूड़ियां पहनती हैं। वे हाथों में मेहंदी रचाती हैं ।

ऐसे सजाएं पूजा की थाली –
पूजा की थाली को चूड़ी, बिंदी, लाल चुनरी से सजाएं साथ ही मीठा भी अवश्य रखें। मां पार्वती को श्रृंगार की चीजें अर्पित करें. मां पार्वती और भगवान शिव के साथ भगवान गणेश की पूजा करना शुभ माना जाता है।

हरियाली तीज की कथा :- शिवजी ने पार्वतीजी को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। शिवजी कहते हैं- हे पार्वती तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। अन्न-जल त्यागा, पत्ते खाए, सर्दी-गर्मी, बरसात में कष्ट सहे। तुम्हारे पिता दुःखी थे। नारदजी तुम्हारे घर पधारे और कहा- मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं। वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर विवाह करना चाहते हैं। अपनी राय बताएं। पर्वतराज प्रसन्नता से तुम्हारा विवाह विष्णुजी से करने को तैयार हो गए। नारदजी ने विष्णुजी को यह शुभ समाचार सुना दिया पर जब तुम्हें पता चला तो बड़ा दु.ख हुआ। तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थीं। तुमने अपने मन की बात सहेली को बताई। सहेली ने तुम्हें एक ऐसे घने वन में छुपा दिया जहां तुम्हारे पिता नहीं पहुंच सकते थे। वहां तुम तप करने लगी। तुम्हारे लुप्त होने से पिता चिंतित होकर सोचने लगे यदि इस बीच विष्णुजी बारात लेकर आ गए तो क्या होगा। शिवजी ने आगे पार्वतीजी से कहा- तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक कर दिया पर तुम न मिली। तुम गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी। प्रसन्न होकर मैंने मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। तुम्हारे पिता खोजते हुए गुफा तक पहुंचे।
तुमने बताया कि अधिकांश जीवन शिवजी को पतिरूप में पाने के लिए तप में बिताया है। आज तप सफल रहा, शिवजी ने मेरा वरण कर लिया। मैं आपके साथ एक ही शर्त पर घर चलूंगी यदि आप मेरा विवाह शिवजी से करने को राजी हों। पर्वतराज मान गए। बाद में विधि-विधान के साथ हमारा विवाह किया। हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं। उसे तुम जैसा अचल सुहाग का वरदान प्राप्त हो।

मनचाहे वर के लिए करें हरियाली तीज का व्रत :
सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहीं कज्जली तीज तो कहीं हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। भव‌िष्य पुराण में देवी पार्वती बताती हैं क‌ि तृतीया त‌ि‌‌थ‌ि का व्रत उन्होंने बनाया है ज‌िससे स्त्र‌ियों को सुहाग और सौभाग्य की प्राप्त‌ि होती है। सावन महीने में तृतीया त‌िथ‌ि को सौ वर्ष की तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान श‌िव को पत‌ि रूप में पाने का वरदान प्राप्त क‌िया था।

हरियाली तीज पूजा विधि:
हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा होती है।
पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते है। इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने का भी रिवाज है।

यह भी पढ़े: आज का पंचांग व दैनिक राशिफल News Trendz पर

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