नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लिव-इन रिलेशनशिप (live in relationship) को रजिस्टर करने के दिशा-निर्देशों की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) ने इसे बिना सोचे-समझे विचार (hare-brained idea) करार दिया। एक वकील द्वारा दायर याचिका में कथित तौर पर लिव इन में रहने वाले कपल द्वारा किए गए बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों में वृद्धि का हवाला देते हुए केंद्र सरकार द्वारा लिव-इन रिलेशनशिप के रिजस्ट्रेशन के लिए नियम और दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की गई।CJI की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या वह इन लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा देना चाहती है या चाहती है कि वे लिव-इन रिलेशनशिप में न आएं। इस बैंच में शामिल जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन से केंद्र का क्या लेना-देना है? यह बिना दिमाग वाला आइडिया है? इस तरह की जनहित याचिकाएं दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाने का सही समय है। उसके बाद इसे खारिज कर दिया गया।
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