देहरादून: आज मुख़्य सेवक सदन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने राष्ट्रीय बालिका दिवस के सुवसर पर “मेधावी बालिका शिक्षा प्रोत्साहन”कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया।इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री ने बालिकाओ के साथ संवाद किया और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर बालिकाओं के साथ बात की।बालिकाओ द्वारा सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर खुशी व्यक्त की गई। इस दौरान बालिका शिक्षा प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2022 व 2023 की 318 मेधावी बालिकाओं को स्मार्ट फोन देकर सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारी बालिकाएं हमारा गौरव और सम्मान हैं।आज सरकार बालिकाओं और महिलाओं के लिए कई योजनाएं चला रही हैं जिनका लाभ उन्हें मिल रहा है।उन्होंने कहा कि समाज मे बालक और बालिका के प्रति फैले भेदभाव को खत्म करने की जरूरत है।कहा कि जहां नारियों का सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं।कहा कि मातृशक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लोकसभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत का आरक्षण और राज्य में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत का आरक्षण लागू किया गया है।
विभागीय मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है और प्रदेश सरकार बालिकाओं के शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक स्तर को सुधारने की दिशा में लगातार काम कर रही है।साथ ही देश में लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली सभी असमानताओं के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना,बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना है।कहा कि आज हमारी बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं हैं बल्कि आज बेटियां अपने कौशल से हर एक क्षेत्र में नए-नए कीर्तिमान गढ़ रहीं हैं।उन्होंने कहा कि हमे बेटों और बेटियों के प्रति भेदभाव को खत्म करने की आवश्यकता है और यह भेदभाव खत्म करने की नींव हमे अपने परिवार से डालनी होगी ताकि समाज मे बेटियों को भी वही सम्मान व हक मिले जिसकी यह हकदार हैं।समाज में मौजूद बालिकाओं के प्रति विभिन्न प्रकार के भेदभावों को रोकने, बालिकाओं की देश में आवश्यकता के प्रति जागरुकता बढ़ाने और बालिकाओं के प्रति होने वाले शोषण को रोकने के उद्देश्य से ऐसे कार्यक्रम लाभदायक सिद्ध होते हैं।
कहा कि आज बालिकाएं किसी भी मामले में बालकों से कम नहीं हैं। उनके जीवन में कोई बाधाएं न आने दें। उन्हें खुले माहौल में हंसने, खिलखिलाने और कामयाबी की बुलंदी तक पहुंचने का मौका दें। यह मौका समाज के साथ परिवार को देना होगा, तभी बेटियां सशक्त होंगी तो देश भी सशक्त होगा। कहा कि बालिका एक तिनका होती है, जो समुद्र में तैरता रहता है। तिनका समुद्र पर बोझ नहीं होता है, जैसे बेटियां परिवार पर नहीं होतीं। वह खुद को हर परिस्थितियों में ढाल लेती है। बेटियां संस्कृति की संवाहक, ईश्वर की अनुकंपा होती हैं।
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