Friday, April 26, 2024
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बड़ा उदासीन अखाड़ा और अवधूत आश्रम के संतों से मिले कर्नल कोठियाल,उत्तराखंड नवनिर्माण के संकल्प के लिए संतों से लिया आशीर्वाद

हरिद्वार: आप के सीएम प्रत्याशी कर्नल अजय कोठियाल आज हरिद्वार पहुंचे ,जहां उन्होंने अवधूत मंडल आश्रम पहुंचकर श्री श्री 1008 पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री संतोषानंद देव जी महाराज ,अवधूत मंडल पीठाधीश्वर और महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी जी से मुलाकात करते हुए उनका आशिर्वाद लिया।

इस दौरान (रि0)कर्नल अजय कोठियाल ने पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री संतोषानंद देव जी महाराज को भेंट स्वरुप खुखरी समेत केदारनाथ में आई आपदा के दौरान बोल्डर से बना एक शिवलिंग, और एक टूटे मकान के सरिए से बना एक छोटा त्रिशूल दिया, जिसे महामंडलेश्वर की आज्ञा से आश्रम के पूजा घर में ही रखा गया और कर्नल कोठियान ने स्वयं उन्हें पूजा के स्थान में रखा। खुखरी भेंट करते हुए उन्होंने कहा कि, ये हथियार गढवाल, कुंमाऊ और गोरखा सैनिकों की वीरता की निशानी है ,जिसे फौज में तीनों ही रेजीमेंट इस्तेमाल करती हैं ,इसे भी आश्रम के पूजा घर में रखा गया ।

कर्नल कोठियाल ने इस दौरान तीनों ही रेजीमेंट्स की वीरता के बारे में महामंलेश्वर को बताया कि, कैसे फौज में रहते हुए तीनों ही रेजीमेंट्स के जवान अपने हथियार से जहां एक ओर दुश्मन का सामना डट कर करते हैं ,तो वहीं ये हथियार बुराई से लडने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि, इस खुखरी में एक निशान बना होता है ,जिसे लोग गाय का खुर भी कहते हैं ,तो कई उसे शिव का त्रिशूल समझते हैं , जो गौ रक्षा समेत अंधकार में छुपे पापों को नष्ट करने का एक प्रतीक है।

इसके बाद कर्नल कोठियाल गोला पूजन स्थल पहुंचे ,जहां उन्होंने पूजा अर्चना करते हुए ,वहां स्थित गोले पर सिर झुकाते हुए ,पवित्र गोले का आशिर्वाद लिया।
इसके बाद कर्नल कोठियाल ने महंत श्री महेश्वर दास जी,महंत श्री रघुमुनि जी, और मंहत श्री अद्वेतानंद जी महाराज से मुलाकात करते हुए उत्तराखंड नवनिर्माण और आध्यात्मिक राजधानी के संकल्प को पूरा करने के लिए उनका आशिर्वाद प्राप्त किया । इस दौरान कर्नल कोठियाल और यहां मौजूद सभी पूजनीय संतो से उनकी आध्यात्मिक राजधानी को लेकर बातचीत हुई। कर्नल कोठियाल ने इस दौरान कहा कि, फौज में कई परंपराएं संतों के अखाडों से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि, देश की दुर्गम और अतिदुर्गम पहाडियों और ऊंचे पर्वतों पर ,या तो संत मौजूद रहते हैं ,या तो वहां फौज मौजूद रहती है। दोनों का देश की सुरक्षा से लेकर संस्कृति बचाव में विशेष योगदान है।

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