Thursday, April 24, 2025
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ईगास पर्व आज; जानिए क्या है इस पर्व के पीछे की मान्यता

देहरादून: उत्तराखंड एक ऐसा प्रदेश है , जहां की संस्कृति कई रंगों से भरी हुई है, व यहां की बोली में एक मिठास है, और यहां पर हर त्योहार को एक अनूठे अंदाज में मनाया जाता है। इसी कड़ी में इगास- बग्वाल भी एक ऐसा ही त्योहार है जो उत्तराखंड की परंपराओं को जीवंत कर देता है। पहाड़ में दीपावली के ठीक 11 दिन बाद ईगास मनाने की परंपरा है। दरअसल ज्योति पर्व दीपावली का उत्सव इसी दिन पराकाष्ठा को पहुंचता है, इसलिए पर्वों की इस शृंखला को ईगास-बग्वाल नाम दिया गया। इस मौके पर विभिन्न संस्थाओं की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है।

सुबह से लेकर दोपहर तक होती है गोवंश की पूजा

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार हरिबोधनी एकादशी यानी ईगास पर्व पर श्रीहरि शयनावस्था से जागृत होते हैं। इस दिन विष्णु की पूजा का विधान है। देखा जाए तो उत्तराखंड में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से ही दीप पर्व शुरू हो जाता है, जो कि कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी हरिबोधनी एकादशी तक चलता है। देवताओं ने इस अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा की। इस कारण इसे देवउठनी एकादशी कहा गया। इसे ही ईगास-बग्वाल कहा जाता है। इन दोनों दिनों में सुबह से लेकर दोपहर तक गोवंश की पूजा की जाती है।

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