देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (CM TSR) और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जुबानी जंग में अब कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने सीएम का बचाव किया है। हरक सिंह रावत ने कहा कि, तीरथ सिंह को सीएम बने हुए 3 महीने हुए हैं और अभी उनके कार्यकाल में ऐसा कोई कार्य नहीं हुआ है जिसमें फर्जीवाड़ा हो सके। एक तरफ जहा पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा तीरथ सरकार पर लगातार आरोप लगाए जा रहे है वही दूसरी तरफ तीरथ सिंह रावत की मुश्किल अब बढ़ने जा रही है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री का भविष्य भी अधर में लटका दिख रहा है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को 10 सितम्बर तक विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी है, जो कि समयाभाव के चलते कठिन लग रहा है।
संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के प्रावधानों के भरोसे तीरथ सिंह रावत ने विधायक न होते हुये भी मुख्यमंत्री की कुर्सी तो संभाल ली, उनको इसी अनुच्छेद के प्रावधानों के तहत 6 महीने के अन्दर विधायिका की सदस्यता भी हासिल करनी है जिसकी अवधि 9 सितम्बर 2021 को पूरी हो रही है। इसके लिये उन्हें उपचुनाव जीतना अति आवश्यक है। जिसकी संभावना लगभग समाप्त हो गयी है। इसलिए राज्य में नेतृत्व परिवर्तन या फिर राष्ट्रपति शासन का ही विकल्प बच सकता है।
इसी बीच गंगोत्री विधानसभा की रिक्त सीट से मुख्यमंत्री को उपचुनाव लड़ाने की तैयारियां भी शुरू हो गयी हैं। मगर पार्टी यह भूल ही गई कि, गंगोत्री सीट 22 अप्रैल को भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन से खाली हुयी थी और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151( क ) के अनुसार विधानसभा का शेष कार्यकाल 23 मार्च 2022 तक होने के कारण इस सीट पर भी समय एक साल से कम होने के कारण उपचुनाव नहीं हो सकता।
वहीं तीरथ सिंह रावत (CM TSR) ने गलत फहमी में सबसे बड़ी गलती अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा सीट से चुनाव न लड़कर कर दी। इसके लिये तीरथ सिंह से अधिक कसूरवार उनकी पार्टी और सरकार है। जिन्होंने मुख्यमंत्री को सही सलाह नहीं दी। सल्ट विधानसभा के उपचुनाव के लिये प्रदेश स्तर पर भाजपा की कोर कमेटी ने प्रत्याशी का चयन कर अनुमोदन के लिये केन्द्रीय नेतृत्व को भेज दिया था।
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