देहरादून : देहरादूनमें बिंदाल पुल के पास दुर्लभ प्रजाति की विशालकाय पीली छिपकली (Yellow monitor lizard) देखी गई। लोगों की सूचना पर वन विभाग की टीम ने उसे पकड़कर जंगल में छोड़ा। भारतीय वन्यजीव संस्थान के सरीसृप विज्ञानियों का कहना है कि येलो मॉनिटर लिजर्ड सिर्फ गंगा के मैदानी क्षेत्रों में ही पाई जाती है। राजधानी क्षेत्र में इसका पाया जाना अपने आप में चौंकाने वाली बात है। दूसरी ओर भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ सरीसृप विज्ञानी डॉ अभिजीत दास का कहना है कि यह भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की उस श्रेणी में शामिल है जिसमें शेर, बाघ शामिल हैं। इसे मारने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। लोग इसे बेहद जहरीला मानते हुए अमूमन इसे मार देते हैं जबकि हकीकत यह है कि यह बिल्कुल भी जहरीली नहीं होती है।
देश में चार प्रजातियां है इस छिपकली की
वरिष्ठ सरीसृप विज्ञानी डॉ अभिजीत दास के मुताबिक देशभर में मॉनिटर लिजर्ड Yellow monitor lizardकी चार प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से येलो मॉनिटर लिजर्ड की संख्या सबसे कम है और ये सिर्फ गंगा के मैदानी क्षेत्रों में ही पाई जाती हैं। दूसरी प्रजाति में डेजर्ट मॉनिटर लिजर्ड आती है जो राजस्थान, गुजरात के रेगिस्तानी इलाकों में पाई जाती हैं। तीसरी प्रजाति बंगाल मॉनिटर लिजर्ड है जो देश के ज्यादातर राज्यों में पाई जाती हैं। वहीं मॉनिटर लिजर्ड की चौथी प्रजाति वॉटर मॉनिटर लिजर्ड है जो आकार में अन्य तीन मॉनिटर लिजर्ड से काफी बड़ी होती हैं। यह दक्षिणी राज्यों के साथ ही श्रीलंका में भी पाई जाती हैं।
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