यह विपदा का समय देश पर, सबको धैर्य दिखाना है.
लड़ना सबको इस कोविड से, कहीं न आना जाना है.
कोरोना है खतरनाक, नहिं इसकी कोई दवाई है.
एक बार संक्रमित हुए, तो कोई नहीं भरपाई है .
सरकारी निर्देश मानकर, घर के अन्दर रहना है.
हर घंटे हाथों को धोना, चेहरे को नहिं छूना है.
बहुत ज़रूरत पर निकलें, तो मास्क लगाना न भूलें.
तुरत करें खुद को सेनिटाइज, अगर भूल से कुछ छू लें
दूरी दो मीटर की रक्खें, एक दूसरे से बाहर.
मुहँ को धोएं, कपडे बदलें, और नहायें घर आकर.
खांसी आये, सांस में दिक्कत हो बुखार तो देर न कर.
तुरत बात कर फ़ोन पे भाई या पहुँचो डाक्टर के घर.
अग्नि परीक्षा है ये देश पर, अपना संयम मत तोड़ो.
भौतिक दूरी है मज़बूरी, दिल से दिल को तुम जोड़ो.
अपने लिए बनायें रोटी, उन योद्धाओं को भी दें.
अपना घर परिवार छोड़कर, देश की खातिर डटे हुए.
कुछ होंगे ऐसे, समाज में, जो अपनों से होंगे दूर.
होंगे वे नि:शक्त, बिना रोटी के सोने पे मज़बूर.
हैं जिम्मेदारी समाज की, वे भी, रखना पूरा ध्यान.
सोने ना पायें बिन खाए रक्षा करना जान – जहान.
देश के योद्धा पुलिस, डाक्टर और मीडियाकर्मी हैं.
कोरोना से लड़ने आये, मानवता के धर्मी हैं.
इनका मन बल बढ़ता जाये, हमको ऐसा करना है.
संदिग्धों का पता बताकर, देश की रक्षा करना है.
आरोग्यसेतु की चेन बनाकर, कोरोना से लड़ना है.
आयुर्वेद, योग अपनाकर, देश को आगे करना है.
गुरुओं ने हर युग में, आगे आकर राह दिखाई है.
एक बार फिर से, मानवता ने आवाज़ लगाई है.
आओ मित्रों आगे आओ फिर से खींचो एक लकीर.
दुनिया को दिखला दो फिर से, भारत की असली तस्वीर.
डॉ लीना मिश्र
प्रधानाचार्य
बालिका विद्यालय इण्टरमीडिएट कालेज
मोती नगर, लखनऊ