बरेली। माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ (Ashraf) काे शुक्रवार को भ्रष्टाचार निरोधक दस्ता (एंटी करप्शन) न्यायालय में पेश किया जाना था। सभी तैयारियां पूरी हो गई थी। क्षेत्राधिकारी एसआईटी आशीष प्रताप सिंह और क्षेत्राधिकारी लाइन वैधनाथ के साथ बिथरी चैनपुर थाने की पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी और बरेली केंद्रीय कारागार दो के गेट पर अशरफ को ले जाने के लिए वैन लग गई थी।
इसके बाद अशरफ (Ashraf) को तन्हाई बैरक से निकालकर मेडिकल के लिए बाहर लाया गया था। तभी जैसे ही उसने जेल के बाहर भारी पुलिस फोर्स देखा तो उसके दिल की धड़कनें बढ़ गई। अशरफ का ब्लड प्रेशर कम हो गया और उसे काफी बेचैनी होने लगी। डॉक्टरों ने जब देखा कि उसकी तबियत ज्यादा खराब होने लगी है तब उसे न्यायालय ले जाने से रोकना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि एक माह पूर्व सात मार्च को अशरफ, उसके साले सद्दाम, लल्ला गद्दी, जेल के अधिकारी, कर्मचारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में दो मुकदमे दर्ज किए गए थे। जिला जेल पर तैनात चौकी इंचार्ज अनिल कुमार की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। मुकदमे में लिखा है कि गैंगस्टर अतीक अहमद का छोटा भाई अशरफ जो केन्द्रीय कारागार-2 जिला बरेली में बंद है, उसमें आरक्षी शिव हरि अवस्थी द्वारा सद्दाम व लल्लागद्दी की सहायता से जेल के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत से एक आईडी पर छह या सात व्यक्तियों को पैसा लेकर मिलाई करायी जाती है। यह मिलाई का काम बिना किसी पर्ची और मिलाई के निर्धारित समय के बाद नियत स्थान के अतिरिक्त अन्य स्थान पर मिलवाया जाता है।
अशरफ (Ashraf) के विरूद्ध अनेक गम्भीर मुकदमे विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन हैं। अशरफ विभिन्न पुलिस अधिकारियों, गवाहों, अभियोजन अधिकारियों की हत्या की योजना लल्ला गद्दी व सद्दाम के साथ मिलाई के समय बनाता है और इनके साथ साक्षियों को पक्षद्रोही होने के लिये डराने का काम करता है जिससे मुकदमों में वह दोषमुक्त हो सके। अशरफ के इन साथियों द्वारा योजना बनायी जाती है और डराने धमकाने, रंगदारी मांगने एंव लोगों में भय व आतंक का माहौल पैदा करने का काम किया जाता है। फोन से बात करने के बाद फोन का डाटा डिलीट कर दिया जाता है। सद्दाम और लल्लागद्दी जेल में आने-जाने तथा अशरफ को सुविधाएं मुहैया कराने के लिये जेल के अधिकारियों, कर्मचारियों को तमाम उपहार व पैसा एंव प्रलोभन देते हैं।
दयाराम उर्फ नन्हें पुत्र सोहन लाल जेल की कैन्टीन के सामान के साथ अशरफ के लिये पैसे, खाना और अन्य सामान जेल के कर्मचारियों व अधिकारियों की मिली भगत से लेकर जाता है। जिसकी पुष्टि नन्हे के मोबाइल व कारागार के सीसीटीवी कैमरों से की जा सकती है। अशरफ द्वारा अपना वर्चस्व कायम करने के लिये अधिकारियों व कैदियों को प्रलोभन के तौर पर सामान और पैसा दिया जाता है। उपरोक्त स्थिति को देखते हुए जेल के अन्दर व बाहर किसी भी बड़ी घटना के घटित होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
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