Friday, June 20, 2025
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योगेश्वरों से प्रेरणा लेकर देश, धर्म लिए योगदान देना सबसे बड़ी आवश्यकता : योगी आदित्यनाथ

रोहतक/लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को हरियाणा के रोहतक स्थित बोहर में बाबा मस्तनाथ जी की समाधि पर पहुंचकर पूजा अर्चना की। श्री बाबा मस्तनाथ मठ स्थल पहुंचे मुख्यमंत्री यहां हरण पूजा में सम्मिलित हुए। योगी आदित्यनाथ ने गुरु महाराज महंत पीर चांदनाथ योगी जी की स्मृति में आयोजित होने वाले आठ मान भंडारा, शंखडाल व देश मेला की तिथि को सुनिश्चित करने के लिए देशभर से पधारे नाथ संप्रदाय के योगेश्वर संतों के साथ मंत्रणा की। इस अवसर पर दिये गये उद्बोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि नाथ संप्रदाय देश का सबसे प्राचीन संप्रदाय है। पूज्य संतों, सिद्धों और योगेश्वरों की लंबी शृंखला ने हर कालखंड में लोककल्याण और समाज के अध्यात्मिक उन्नयन के लिए अपना सर्वस्व त्याग किया है।

पूज्य महंत के सानिध्य में लंबा समय गुजारने का अवसर मिला है : योगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पूरे क्षेत्र में पूज्य महंत मस्तनाथ महाराज की कृपा बरसती है। हम सब यहां पूज्यमहंत चांदनाथ योगी जी की स्मृति में आयोजित हरण पूजा मे शामिल होने आए हैं। मुझे पूज्य महंत चांदनाथ जी महाराज के सानिध्य में लंबा समय गुजारने का अवसर प्राप्त हुआ है। आज वे हमारे बीच भौतिक रूप से नहीं है, मगर सूक्ष्म रूप से उनकी उपस्थिति यहां पर सिद्ध शिरोमणि बाबा मस्तनाथ जी के भव्य समाधि के रूप में देखने को मिलती है। हम यहां पूज्य महंत चांदनाथ जी के आठ मान भंडारा, शंखडाल व देश मेला की तिथि को सुनिश्चित करने के लिए एकत्रित हुए हैं।

कश्मीर से सुदूर दक्षिण और पूर्वोत्तर तक फैले हुए हैं नाथ संप्रदाय के अनुयायी
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन आदर्शो के लिए नाथ संप्रदाय को आगे बढ़ाने के लिए पूज्य महंत जी ने अपना पूरा जीवन समर्पित किया था। उनसे प्रेरणा लेकर हम भी अपने स्तर पर योगदान देश और धर्म के लिए दें, ये आज की सबसे बड़ी आवश्यक्ता है। कश्मीर से लेकर सुदूर दक्षिण तक और पूर्वोत्तर के राज्यों में नाथ संप्रदाय के अनुयायी भरे पड़े हैं। सभी अनुयायियों को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना। ये देखना कि कोई सनातन धर्म का उल्लंघन ना करे और नाथ सम्प्रदाय की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे। महंत चांदनाथ ने राजस्थान और हरियाणा में नाथ संप्रदाय को आगे बढ़ाया था। उन्होंने अपने जीवन में मनसा, वाचा, कर्मणा के धर्म को निभाया था। आज उन्हीं की प्रेरणा से योगी बालकनाथ आम जनमानस की सेवा के कार्य में जुटे हुए हैं।

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