लखनऊ: वाराणसी में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा ईवीएम चोरी के आरोपों को चुनाव आयोग ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया, और कहा कि जो वोटिंग मशीनें ले जायी जा रही थी, वे मतगणना ड्यूटी पर अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए थीं और उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया था। यूपी के एक अधिकारी ने मंगलवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि एक राजनीतिक दल के लोग वाहन रोककर अफवाह फैला रहे थे और आरोप लगाया कि हाल ही में संपन्न चुनावों में इन ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था।
चुनाव आयोग की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ की जा रही है और वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट स्थानीय उम्मीदवारों को बताए बिना उन्हें ले जा रहे हैं।
“जिला चुनाव अधिकारी (वाराणसी) द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, जांच के दौरान यह पाया गया कि इन ईवीएम को प्रशिक्षण के लिए चिह्नित किया गया था। मतगणना ड्यूटी में शामिल अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए, 9 मार्च (बुधवार) को प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है।
एक सनसनीखेज दावे में, अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि यूपी के मुख्यमंत्री सचिवालय के एक शीर्ष अधिकारी ने उत्तर प्रदेश के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों के जीतने की संभावना कम है, वहा 10 मार्च को मतगणना को धीमा किया जाय। मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, अखिलेश यादव ने दावा किया कि वाराणसी में पार्टी कार्यकर्ताओं ने ईवीएम ले जा रहे एक ट्रक को रोका, जबकि दो अन्य ट्रक तेजी से भागने में सफल रहे। सपा अध्यक्ष ने कहा, “अगर ईवीएम को स्थानांतरित किया जा रहा था, तो संबंधित उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार सूचित किया जाना चाहिए था। हमारे पास यह साबित करने के लिए वीडियो हैं कि हम क्या कह रहे हैं।”
आज से,अभी से हर युवा, हर मतदाता अगले 3 दिन तक मत की रक्षा के लिए मतगणना केंद्र की क़िलेबंदी कर दे और ढोल-मंजीरा लेकर आज़ादी के अफ़साने गाए। किसानों की तरह उनके लिए भी लोकतंत्र के लंगर लगेंगे व दुनिया देखेगी लोकतंत्र को कैसे बचाया जाता है।
राजनीति बाहुबल के आगे जनबल झुकेगा नहीं। pic.twitter.com/HoRz56H36c
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 8, 2022
सपा नेताओं नरेश उत्तम और राजेंद्र चौधरी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर और जनवादी पार्टी (समाजवादी) संजय चौहान सहित गठबंधन सहयोगियों ने “वाराणसी में ईवीएम की चोरी” का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा।
अखिलेश यादव के आरोपों के बाद, वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और बताया कि जिन 20 ईवीएम को ले जाया जा रहा था, उनका उपयोग मतदान में नहीं किया गया था और उन्हें प्रशिक्षण के उद्देश्य से भेजा जा रहा था।
वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा कि “लगभग 20 ईवीएम को प्रशिक्षण के लिए यूपी कॉलेज ले जाया जा रहा था। कुछ राजनीतिक लोगों ने वाहन रोक दिया और यह कहकर अफवाह फैला दी कि इन ईवीएम का इस्तेमाल चुनाव में किया गया था। जबकि स्ट्रांग रूम अलग है और पकड़ी गई यह ईवीएम मशीन अलग है। उन्होंने कहा कि कल काउंटिंग ड्यूटी के लिए नियुक्त कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने और इन मशीनों का उपयोग हमेशा प्रशिक्षण के लिए किया जाता है।”
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