लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली ( Electricity) सुधार के तमाम प्रयास के बाद भी बिजली कंपनियां करिश्मा नहीं दिखा पाईं। ऊर्जा मंत्रालय की शाखा पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन की ओर की गई रेटिंग में कोई सुधार नहीं हुआ है। पिछली बार की तरह रेटिंग में इन कंपनियों ( Electricity Companies) को सी माइनस ग्रेड मिला है। कॉरपोरेशन के अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं, इतना जरूर कहते हैं कि रैंक तो बरकरार है।
ऊर्जा मंत्रालय हर साल पूरे देश की बिजली निगमों की रेटिंग कराता है। इसी आधार पर इन्हें लोन मिलता है। रेटिंग खराब होने पर महंगे दर पर लोन मिलता है जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है। वित्तीय मानक के अनुसार 75 अंक, कार्य प्रदर्शन में 13 अंक, आंतरिक वातावरण के लिए 12 अंक तय हैं। इस साल देश की 51 सरकारी बिजली कंपनियां ( Electricity Companies) रेटिंग में शामिल हुईं।
85 से 100 अंक पाने वालों को ए प्लस, 65 से 85 अंक वालों को ए, 50 से 65 अंक पर बी, 35 से 50 अंक पर बी माइनस, 15 से 35 अंक पर सी, और 0 से 15 नंबर पर सी माइनस रेटिंग देने का नियम है। प्रदेश में वर्ष 2022 में पश्चिमांचल को सी रेटिंग मिली थी। केस्को, मध्यांचल, पूर्वांचल और दक्षिणांचल सी माइनस पर रहे। इस साल यही रेटिंग बरकरार है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियां सुधार करने में नाकाम साबित हुई हैं। मध्यांचल, केस्को, पूर्वांचल, दक्षिणांचल खुद को माइनस सी से बाहर नहीं निकाल पाईं। यह पूरी व्यवस्था पर सवाल है। इसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मामले में हस्तक्षेप करते हुए सख्त कदम उठाने की मांग की है।
यह भी पढ़े: आजम खान की अचानक बिगड़ी तबीयत, दिल्ली के अस्पताल में हुए भर्ती