जीवन पूरा कर चुके ट्रांसफार्मरों के कारण हो रहे फाल्ट, बढ़ रही परेशानी

लखनऊ: बढ़ती गर्मी के साथ बिजली भी दगा दे रही है। इसका कारण बिजली की मांग की अपेक्षा आपूर्ति की कमी नहीं है, बल्कि इसका कारण ट्रांसफार्मरों (Transformers) की खराबी है। एक ट्रांसफार्मर का जीवन चार बार रिपेयरिंग के बाद समाप्त हो जाता है, जबकि राजधानी लखनऊ में लेसा ट्रांस गोमती के ही अलग-अलग क्षमता के 1654 से अधिक ऐसे ट्रांसफार्मर (Transformers)  हैं, जो अपना जीवन पूरा कर चुके हैं। फिर भी उन्हें चलाया जा रहा है।

आम उपभोक्ताओं को ब्रेकडाउन व ओवरलोडिंग के चलते बिजली ठीक से नहीं मिल पा रही है। बिजली विभाग के अनुसार राजधानी लखनऊ में मार्च 2023 के आंकडों पर नजर डालें तो लेसा स्विस गोमती में कुल विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या जहां सात लाख 71 हजार 504 है, वहीं उनके द्वारा लिया गया कुल संयोजित भार 21 लाख 36685 किलोवाट है। बात करें लेसा ट्रांस गोमती की तो वहां पर विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या 04 लाख 74 हजार 629 है। उनके द्वारा लिया गया कुल संयोजित भाग 15 लाख 87 हजार 834 किलो वाट है। इस प्रकार राजधानी लखनऊ लेसा में कुल उपभोक्ताओं की संख्या 12 लाख 46 हजार 133 है।

यानी कि राजधानी लखनऊ लेसा के विद्युत उपभोक्ताओं द्वारा लिया गया कुल संयोजित भार कहीं ज्यादा है। लेसा में सभी सब स्टेशनों की क्षमता कम है। ऊपर से इसी सिस्टम पर 15 से 20 प्रतिशत बिजली चोरी का भार भी आता है। ऐसे में जब पीक आवर्स में भीषण गर्मी के दौरान डायवर्सिटी फैक्टर वन बाई वन होता है और विद्युत उपभोक्ता अपना अधिकतम भार प्रयोग में करता है तो राजधानी लेसा का सिस्टम कमजोर पड जाता है। उसी का नतीजा है कि बिजली की उपलब्धता होते हुए भी लेसा में बडे पैमाने पर विद्युत व्यवधान सामने आ रहे हैं। यानी कि सिस्टम मिस मैच कर रहा है।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अपना जीवन समाप्त कर चुके ट्रांसफार्मरों को सिस्टम से बाहर करना बहुत जरूरी है। लेसा लखनऊ में कुल लगभग 172 की संख्या में 33 केवी फीडर है। आज भी उसमें से दर्जनों फीडर ओवरलोड हैं। फीडर की लंबाई का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 172 कुल 33 केवी फीडर जिनकी लंबाई है, वह लगभग 1669 किलोमीटर है। यानी कि औसत लगभग 10 किलोमीटर लंबा फीडर। ऐसे में जो बहुत लंबे फीडर हैं, उन्हें भी सिपरेशन करना पड़ेगा। यानि कि फीडर को छोटा करना पडेगा। ताकि उपभोक्ताओं को लो वोल्टेज की समस्या न हो।

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