लखनऊ में बच्ची से रेप मामला; अभी तक पुलिस स्पॉट की पहचान नहीं कर पाई, स्कूल प्रबंधक ने नोटिस का नहीं दिया जवाब

लखनऊ : इंदिरा नगर के एक प्राइवेट स्कूल में चार साल की बच्ची से रेप मामले में पुलिस की कार्रवाई काफी सुस्त है. 10 दिन बाद भी पुलिस अभी तक घटना स्थल का सही से पता तक नहीं लगा पाई है. पुलिस ने स्कूल के प्रबंधक को पूछताछ के लिए नोटिस भी दिया, लेकिन वह अभी तक पेश नहीं हुआ. ऐसे में पुलिस की जांच पर सवाल उठ रहे हैं.

14 जुलाई को बच्ची के साथ गलत किया गया. 17 जुलाई को इंदिरा नगर थाने में तहरीर दी गई. एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद पुलिस एक्टिव हुई और आरोपी वैन ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया. पर अभी तक आरोपी वैन ड्राइवर से पूछताछ में पुलिस यह नहीं पता कर पाई कि उसने बच्ची के साथ, कब कहां और कैसे घटना को अंजाम दिया. पुलिस की जांच केवल सीसीटीवी फुटेज पर टिकी हुई है.

यूपी में 69% स्कूली गाड़ियों की हुई जांच : प्रदेश में स्कूल खुलने के बाद पुलिस ने एक जुलाई से 15 जुलाई तक वैन चालकों का वेरिफिकेशन अभियान चलाया. पता चला प्रदेश में कुल पंजीकृत 67613 स्कूली वाहनों में से 46748 स्कूल वाहनों यानी 69% की ही गहन जांच की गई. इसमें से 4089 यानी की 8.75 फ़ीसदी सुरक्षा मानवता का उल्लंघन करते मिले. जबकि 1768 के पास फिटनेस तक नहीं थी. फिर भी सड़क पर दौड़ रहे थे. पुलिस ने 4438 वाहनों का चालान, 913 वाहन सीज किए. 88 लाख 52 हजार रुपये का जुर्माना भी वसूला.

लखनऊ में 100 वैन ड्राइवर क्रिमिनल : पुलिस के मिशन भरोसा के तहत ड्राइवरों के हुए सत्यापन में 100 से ज्यादा ऐसे ड्राइवर पाए गए हैं जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. मिशन भरोसा के प्रोजेक्ट निदेशक आलोक सिंह ने बताया, लखनऊ के पोर्टल पर कुल 5150 स्कूली वैन और दूसरे वाहनों का डाटा दर्ज किया गया है. कई मामलों में चालकों का पता गलत पाया गया. कई वाहनों का डाटा पूरी तरह से गड़बड़ है. तमाम चालकों के खिलाफ कई गंभीर अपराधों में एफआईआर तक दर्ज है. इनमें से कई ऐसे हैं जिनके खिलाफ 7 से 8 धाराओं में केस दर्ज है.

चालकों ने दी गलत जानकारी : आलोक सिंह ने बताया, अब तक पोर्टल पर 2490 चालकों और करीब 200 कंडक्टर व हेल्पर का डेटा दर्ज हुआ है. इनमें से 1200 का वेरिफिकेशन करते हुए 1100 को कार्ड भी जारी किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा पोर्टल में बड़ी संख्या में चालकों के एड्रेस तक गलत दर्ज हैं. इसके चलते करीब 400 चालकों का आवेदन भी रिजेक्ट किया जा चुका है. लखनऊ आरटीओ में कुल 1742 वैन स्कूली वाहन के रूप में रजिस्टर्ड हैं. जबकि मिशन भरोसा पोर्टल पर अब तक 5150 का स्कूल वाहनों के रूप में पंजीकरण हो चुका है.

स्कूली वाहनों में मानकों की अनदेखी : आलोक सिंह ने बताया, 21 सितंबर 2024 की बैठक में सभी स्कूल प्रबंधकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वह अपने स्कूल में अटैच वैन ड्राइवर की पूरी डिटेल वेरीफाई करें. इसके अलावा मानकों के अनुसार स्कूली वाहनों का रंग पीला होने के साथ ही सीसीटीवी कैमरे, लाइव ट्रैकिंग डिवाइस, सेफ्टी रॉड आदि अनिवार्य रूप से लगाएं. 6 सीटर वाले स्कूली वाहनों में सीसीटीवी को अनिवार्य किया गया था.

इस आदेश के बाद राजधानी लखनऊ में स्कूल प्रबंधकों की तरफ से एक नया ही खेल शुरू कर दिया गया. उन्होंने अपने स्कूल के नाम पर पंजीकृत वाहनों को हटा दिया और वह थर्ड पार्टी के थ्रू अपने स्कूलों में बच्चों को लाने ले जाने के लिए गाड़ियों को अटैच करने लगे. विभाग की ओर से जारी डाटा के अनुसार, इस आदेश के बाद राजधानी लखनऊ में स्कूलों के निजी स्कूली वाहनों की संख्या 2622 कम हो गई.

आरोपी ड्राइवर का नहीं हुआ था पुलिस वेरिफिकेशन : आलोक सिंह का कहना है कि इंदिरा नगर में बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी चालक का वेरिफिकेशन भी स्कूल ने नहीं कराया था. हालांकि गाड़ी और गाड़ी मालिक का डिटेल पोर्टल पर दर्ज है. गाड़ी माउंटफोर्ड स्कूल के नाम पर दर्ज थी. जबकि दूसरे स्कूल के बच्चों को भी लाया ले जाया करता था. वाहन मालिक अबू बकर और चालक के तौर पर आरिफ का नाम दर्ज है. लेकिन वेरिफिकेशन नहीं था.