लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष और भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी. नारायणन ने सोमवार को मुलाकात की. इस शिष्टाचार भेंट में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई. इस दौरान राज्य के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीकों के माध्यम से विकास की नई संभावनाओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई.
इस दौरान इसरो अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को रिमोट सेंसिंग क्षेत्र में अब तक हुई प्रगति और उपलब्धियों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मौसम पूर्वानुमान, वन और हरित क्षेत्र की निगरानी, भूजल प्रोफाइल, मानचित्रण और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर पहले से ही व्यापक कार्य हो चुका है.

वहीं, मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश में आकाशीय बिजली से हो रही जनहानि पर गहरी चिंता जताई. इसके साथ ही इसरो अध्यक्ष को सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश के लिए अलग से सैटेलाइट (उपग्रह) विकसित किया जाए, जो विशेष रूप से आकाशीय बिजली की पूर्व चेतावनी देने में सक्षम हो.
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य में बिजली गिरने की घटनाओं में औसतन 300 लोगों की मृत्यु हुई है. ऐसे में प्रदेश में आपदा जनित जनहानि को रोकने में यह अत्याधुनिक तकनीक प्रभावी सिद्ध हो सकती है. मुख्यमंत्री के अनुरोध पर इसरो अध्यक्ष डॉ. नारायणन ने आश्वस्त किया कि वे इस विषय पर गंभीरता से विचार करेंगे और शीघ्र ही इसका ठोस समाधान निकालने की दिशा में कार्य करेंगे.
विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर कार्यशाला: लखनऊ: विकसित भारत 2047′ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने की, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन और अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के सचिव डॉ. वी. नारायणन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. मुख्य सचिव ने अपने संबोधन में कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आज हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इसरो सस्ते और विश्वसनीय सैटेलाइट लॉन्च के लिए विश्व में प्रसिद्ध है, जो हमारे वैज्ञानिकों की उत्कृष्टता को दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 1982 में स्थापित रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर ने प्रदेश के विकास में अहम योगदान दिया है. यह तकनीक कृषि, सिंचाई, स्वास्थ्य, वन, खनन और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में उपयोगी है. सैटेलाइट आधारित डिजिटल क्रॉप सर्वे से सटीक और विश्वसनीय डेटा मिलता है, जो योजनाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है. मुख्य सचिव ने इसरो से बारिश और बिजली गिरने की सटीक जानकारी देने वाली तकनीक विकसित करने का आग्रह किया, ताकि किसानों और लोगों को समय पर सतर्क किया जा सके. उन्होंने रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर और इसरो द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट का विमोचन भी किया, जिसमें उत्तर प्रदेश में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग और भविष्य की जरूरतों पर चर्चा की गई.
डॉ. वी. नारायणन ने इसरो की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि भारत ने 1963 में पहला रॉकेट लॉन्च किया था और अब तक 100 से अधिक रॉकेट और 131 सैटेलाइट लॉन्च किए जा चुके हैं. इसरो का लक्ष्य अपना स्पेस स्टेशन बनाना और अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजना है. कार्यक्रम में प्रमुख सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पंधारी यादव, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. यह कार्यशाला उत्तर प्रदेश के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करती है.