लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष और दारुल उलूम नदवतुल उलमा लखनऊ के मौलाना राबे हसनी नदवी (Maulana Rabe Hasni) का शव रायबरेली शहर के तकिया लाया गया। तकिया में शुक्रवार को नमाज पढ़ी गई और उसके बाद गमगीन माहौल में उनको सुपुर्द ए खाक किया गया। इस दौरान रायबरेली, लखनऊ और आसपास के जिलों के हजारों लोग मौजूद रहे। नदवी पूरे साल कहीं भी रहते रहे हो लेकिन रमजान के दिनों में वह तकिया में ही निवास करते थे। रमजान के समय वह तकिया में थे लेकिन अचानक बीमार हो गए और उनको लखनऊ ले जाया गया जहां बृहस्पतिवार को उनका निधन हो गया। दारुल उलूम नदवातुल उलेमा के प्रमुख, आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष व इस्लामिक विद्वान मौलाना राबे हसन नदवी के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके परिजन मौलाना जाफर नदवी से फोन पर बात की और शोक संवेदना प्रकट की।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी (Maulana Rabe Hasni) का निधन पूरी दुनिया खास कर इस्लामिक दुनिया के लिये अपूर्णनीय क्षति है। बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि मौलाना कई दिनों से बीमार थे। आज शाम को उन्होंने नदवा में अंतिम सांस ली। मौलाना राबे के खानदान से फरंगी महल के उलमा का गहरा शैक्षिक रिश्ता था। उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत रूप से मौलाना की मोहब्बत हासिल हाेती थी।
शैक्षिक सेवाओं के लिये राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित हुये थे मौलाना राबे
मौलाना राबे हसनी नदवी का जन्म 29 अक्टूबर 1929 को रायबरेली के तकिया कलां में हुआ था। उन्होंने शुरुआती शिक्षा रायबरेली में ही पूरी की। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिये नदवतुल उलमा आ गये। 1948 में नदवे से डिग्री हासिल करने और 1949 में शिक्षा पूरी करने के बाद नदवा में सहायक शिक्षक के ताैर अपनी सेवाएं दीं। मौलाना खालिद रशीद ने बताया कि वह 1950 से 1951 तक सऊदी अरब में रहे। सन 1970 में उनकी शैक्षिक सेवाओं को देखते हुये राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया गया। 1993 में नदवा के प्रधानाचार्य बनाये गये। उसके बाद 1999 में नदवा के वाइंस चांसलर व साल 2000 में मौलाना अली मियां के निधन के बाद चांसलर बनाये गये। मौलाना फरंगी महली ने बताया कि मौलाना राबे ने उर्दू और अरबी में करीब 30 पुस्तकें लिखीं थीं। मौलाना आलमी राबता अदब ए इस्लामी रियाद के कुलपति भी थे।
बेटियों को दहेज के बजाए जायदाद में हिस्सा देने के पक्ष में थे मौलाना राबे
मौलाना छह बार लगातार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष रहे। उन्होंने इस दौरान मुस्लिम समाज में दहेज जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिये शरियत के मुताबिक शादियां करने की नसीहत दी। उनका कहना था कि मुसलमानों को सामाजिक रीति रिवाजों से बचना चाहिये और सुन्नत व शरीयत के अनुसार शाादियां करनी चाहिये। उन्हाेंने बोर्ड के जरिये फैसला दिया कि शादी में दहेज की बजाये जायदाद में लड़की को उसका हक दिया जाये। उन्होंने शादियों में फिजूलखर्ची को खत्म करने और निकाह को आसान बनाने के लिये अभियान का आगाज किया।
मौलाना राबे (Maulana Rabe Hasni) के निधन पर धर्मगुरुओं और नेताओं ने जताया शोक
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी के निधन पर सभी धर्मगुरुओं ने शोक जताया। शिया धर्मगुरू मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने मौलाना राबे हसनी नदवी को मुस्लिम दुनिया का एक प्रतिभाशाली बुद्धिजीवी और महान आलिम बताया। उन्होंने कहा कि मौलाना के निधन से मुस्लिम दुनिया काे अपूर्णीय क्षति हुई है। मौलाना ने कहा कि मौलाना राबे नदवी जैसी शख्सियत, बड़ी मुश्किल से पैदा हाेते हैं। उनकी सेवाओं के लिये उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। शिया धर्मगुरू मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने मौलाना राबे के निधन पर दुख जताते हुये कहा कि मौलाना का इंतकाल पूरी दुनिया की इंसानियत के लिये नुकसान है। वहीं मौलाना अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने भी मौलाना राबे हसनी नदवी के निधन पर दुख जताया। जमात ए इस्लामी हिंद पूर्वी यूपी के अध्यक्ष डा. मलिक मोहम्मद फैसल फलाही ने मौलाना राबे हसनी नदवी के निधन पर गहरा दुख जताते हुये कहा कि मौलाना प्रेम, विनम्रता, एकता, धैर्य और सहिष्णुता के बड़े उदाहरण थे।
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