लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जनशिकायतों के समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण में बड़ा सुधार आया है. जनसुनवाई से शिकायतों के मामलों में लगातार गिरावट आ रही है. सीएम डैशबोर्ड और आईजीआरएस (इंटिग्रेटेड ग्रिवांस रीड्रेसल सिस्टम) की मई की रैंकिंग में ये बात सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, पूरे प्रदेश में जनशिकायतों के निस्तारण में श्रावस्ती ने बाजी मारी है, शाहजहांपुर ने दूसरा और अमेठी ने तीसरा स्थान हासिल किया है.
श्रावस्ती जिलाधिकारी अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप श्रावस्ती में शिकायत निस्तारण को लेकर विशेष रणनीति अपनाई गई है. जिले में रोजाना सुबह 10 बजे जनसुनवाई होती है. जिसके बाद दिन भर प्राप्त शिकायतों की प्रगति की समीक्षा की जाती है. वहीं, लंबित मामलों की समीक्षा शाम पांच बजे और असंतुष्ट फीडबैक प्राप्त प्रकरणों की गुणवत्ता का परीक्षण रात 9 बजे किया जाता है. सभी विभागीय अधिकारियों को जनसुनवाई और शिकायत निस्तारण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के स्पष्ट आदेश दिये गये हैं.
इसके अलावा नोडल अधिकारियों के माध्यम से शिकायतों की गुणवत्ता की लगातार निगरानी की जा रही है, जिससे निस्तारण की पारदर्शिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित हो रही है. यही वजह है कि पिछले कई महीनों से श्रावस्ती जनसमस्याओं के समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण तरीके से निस्तारण में टॉप फाइव जिलों में बना हुआ है. उन्होंने बताया कि मई माह की आईजीआरएस और सीएम डैशबोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार पूरे प्रदेश में श्रावस्ती ने मामलों के निस्तारण में पहला स्थान प्राप्त किया है.
डीएम अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि मई की रिपोर्ट के अनुसार श्रावस्ती ने 140 पूर्णांक के सापेक्ष 137 प्राप्तांक प्राप्त किये हैं. श्रावस्ती का जनशिकायतों के निस्तारण का अनुपात 97.86 प्रतिशत है, जो सबसे अधिक है. आईजीआरएस की मई-25 की रिपोर्ट के अनुसार टॉप-5 जिलों में शाहजहांपुर (95.71%) दूसरे, अमेठी (94.29%) तीसरे, हमीरपुर (94.29%) चौथे और अंबेडकरनगर 89.29 प्रतिशत के साथ पांचवां स्थान प्राप्त किया है. इन जिलों ने न सिर्फ शिकायतों को समय पर सुलझाया, बल्कि समाधान की गुणवत्ता को भी प्राथमिकता दी. छठे स्थान पर हाथरस, सातवें स्थान पर आजमगढ़, आठवें स्थान पर चंदौली, नौवे स्थान पर मैनपुरी और दसवें स्थान पर सिद्धार्थनगर है.
प्रदेश सरकार के मीडिया सेल की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, ऑनलाइन पोर्टल और आईजीआरएस जैसे माध्यमों को प्रभावशाली ढंग से उपयोग में लाया जा रहा है. यही वजह है कि आईजीआरएस रैंकिंग एक ऐसा माध्यम बन गया है, जिससे जिलों में आपसी प्रतिस्पर्धा भी पैदा हो रही है और इसका सीधा लाभ प्रदेश की जनता को मिल रहा है.