प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्थिक पिछड़ा वर्ग आरक्षण कोटे में महिलाओं को बीस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को सब-इंस्पेक्टर (सिविल पुलिस), प्लाटून कमांडर पीएसी और एफएसएसओ फायर सर्विस की भर्ती में महिलाओं, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से संबंधित महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण लागू करने में हुई त्रुटियों को सुधारने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने यह आदेश गौतम बुधनगर की नेहा शर्मा और 53 अन्य की याचिका पर दिया. कोर्ट ने कहा कि राज्य ने सामान्य और ईडब्ल्यूएस के तहत महिला आरक्षण को अनुचित रूप से एक साथ मिला दिया था. इस कारण क्षैतिज आरक्षण से लाभान्वित होने वाली ईडब्ल्यूएस महिलाओं की संख्या में भारी कमी आ गई.
ईडब्ल्यूएस श्रेणी की 54 महिलाओं ने याचिका दाखिल की थी. उनका दावा था कि उन्हें ईडब्ल्यूएस कोटा (902 सीटें) के भीतर पूर्ण 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण (181 सीटें) से वंचित कर दिया गया है. राज्य सरकार ने सामान्य और ईडब्ल्यूएस महिला आरक्षण सीटों को एक साथ मिलाने की बात स्वीकार करते हुए, दावा किया कि महिलाओं को आवंटित कुल 903 सीटें पूरे आरक्षण को संतुष्ट करती हैं.
कोर्ट ने कहा कि राज्य ऐसे किसी भी प्रावधान या आदेश को प्रस्तुत करने में विफल रहा जो ऐसे क्लबिंग की अनुमति देता हो, जिसके परिणामस्वरूप आरक्षित 181 ईडब्ल्यूएस महिलाओं के बजाय केवल 34 ईडब्ल्यूएस महिलाओं को ही लाभ मिला.
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि अन्य श्रेणियों में महिला आरक्षण सही ढंग से लागू किया गया था. कोर्ट ने निर्देश दिया कि संबंधित प्रतिवादी ईडब्ल्यूएस महिला उम्मीदवारों के लिए एक अलग मेरिट सूची तैयार करें और 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण सुनिश्चित किया जाए. यदि कोई रिक्त सीटें हैं, तो उन्हें योग्यता के आधार पर नई तैयार की गई सूची से ईडब्ल्यूएस महिला उम्मीदवारों को समायोजित किया जाना चाहिए.
चयनित किसी भी उम्मीदवार को हटाया न जाए.यह भी कहा कि भविष्य की सभी चयन प्रक्रियाओं में,राज्य को क्षैतिज आरक्षण सहित सभी आरक्षणों को लागू करने के लिए सही और कानूनी तरीका अपनाना अनिवार्य है.