लखनऊ: ग्राम पंचायतों को स्वस्थ, समृद्ध व खुशहाल बनाने के लिए जरूरी है कि पहले उन्हें टीबी जैसी गंभीर बीमारियों से मुक्त बनाया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात को भली-भांति जानते हैं कि बिना ग्राम पंचायतों को ‘टीबी मुक्त’ बनाए प्रदेश को इससे मुक्ति नहीं दिलायी जा सकती है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘टीबी मुक्त पंचायत’ बनाने की तैयारी पूर्ण कर ली है। उन्होंने अधिकारियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘टीबी मुक्त भारत’ के विजन को प्रदेश में मिशन के रूप लागू करने के निर्देश दिये। मालूम हो कि ‘विश्व क्षय रोग दिवस’ (24 मार्च) पर इसी साल वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा की थी, जिसे अब शीघ्र धरातल पर उतारने की तैयारी है। इसकी पहल जिला क्षय रोग अधिकारी और जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) के संयुक्त प्रयास से की जाएगी।
जिला से लेकर ब्लॉक स्तर के कर्मचारियों को किया जाएगा प्रशिक्षित
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सीएम योगी की मंशा के अनुरूप ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक समेत सूबे के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को विशेष दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इसके लिए डीटीओ और डीपीआरओ के स्तर पर बैठक कर पंचायत को टीबी मुक्त बनाने पर मंथन किया जाएगा। जिला से लेकर ब्लॉक स्तर तक के अभियान से जुड़े कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जो कि अपने-अपने क्षेत्र के ग्राम प्रधानों को प्रशिक्षित करेंगे। इसके साथ ही जिला टीबी केंद्र के सहयोग से पंचायतों को टीबी मुक्त पंचायत की स्थिति के लिए तैयार किया जाएगा। टीबी मुक्त करने के प्रयासों की गतिविधियों को पंचायत विकास योजनाओं (पीडीपी) में भी शामिल किया जाएगा ।
जिलाधिकारी देंगे एक साल की वैधता का टीबी मुक्त पंचायत का प्रमाण पत्र
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि समुदाय को टीबी के विभिन्न पहलुओं जैसे-लक्षण, रोकथाम, भ्रांतियों को दूर करना, उपचार का पालन, जांच और उपलब्ध उपचार सुविधाओं समेत टीबी रोगियों के लिए योगी सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले विभिन्न लाभों के बारे में जागरूक किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत खंड विकास अधिकारी ब्लॉक स्तर पर टीबी मुक्त पंचायत के लिए सभी पात्र ग्राम पंचायतों के दावों को सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ जिला क्षय रोग अधिकारी को सत्यापन के लिए भेजेंगे। इसमें टीबी मुक्त पंचायत की स्थिति के लिए उपयुक्त मिलने वाली ग्राम पंचायतों की सत्यापित सूची जिला टीबी टीम जिलाधिकारी को भेजेगी। इसी के आधार पर हर साल विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च) पर जिलाधिकारी योग्य ग्राम पंचायतों को एक साल की वैधता के साथ टीबी मुक्त पंचायत का प्रमाण पत्र जारी करेंगे।
सभी की तय की गयी अलग-अलग जिम्मेदारी
टीबी मुक्त पंचायत बनाने में पंचायत विभाग के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की अहम भूमिका होगी। जिला क्षय रोग अधिकारी के साथ ही सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस), टीबी होम विजिटर (टीबीएचवी), सीनियर टीबी लैब सुपरवाइजर, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की इस मुहिम में अलग-अलग जिम्मेदारी तय की गयी है। आशा कार्यकर्ता टीबी मरीजों की जानकारी आशा डायरी में दर्ज करेंगी, समुदाय में टीबी रोगियों की पहचान करेंगी और जांच में मदद करेंगी। टीबी मरीजों को दवा मुहैया कराएंगी और पोषण सलाह के साथ उपचार पालन और पूरा इलाज का परामर्श देंगी। वह बैंक खाते का विवरण दर्ज कराएंगी ताकि इलाज के दौरान टीबी रोगियों को सही पोषण के लिए हर माह 500 रुपये मिल सकें। एएनएम समुदाय स्तर पर पोस्टर के माध्यम से टीबी के बारे में जानकारी देंगी। टीबी के लक्षण जैसे- दो हफ्ते से खांसी-बुखार आना, वजन में कमी, रात को पसीना आना आदि के बारे में बताएंगी और इन लक्षणों वाली महिलाओं की स्क्रीनिंग करेंगी। टीबी रोगियों की मदद के लिए आउटरीच गतिविधियों में समन्वय के साथ रोगियों को उपचार के लिए प्रेरित करेंगी। सीनियर टीबी लैब सुपरवाइजर ग्राम पंचायत में पाजिटिव मरीजों की सूची हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर/उपकेन्द्र की टीम के साथ साझा करेंगे। जिला क्षय रोग अधिकारी व चिकित्सा अधिकारी को सैम्पल जांच के लिए परिवहन में जरूरी मदद करेंगे।
एसटीएस निभाएंगे टीबी होम विजिटर की भूमिका
टीबी मुक्त पंचायत मुहिम में सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर और टीबी होम विजिटर की भी अहम भूमिका होगी। वह ग्राम/पंचायत में एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) में सहयोग करेंगे, टीबी मरीजों के घर पर मासिक विजिट में सहयोग करेंगे और ग्राम पंचायतों को टीबी मरीजों के नामांकन रजिस्टर, स्टॉक रजिस्टर में जरूरी जानकारी संगृहीत करने में सहयोग करेंगे।
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