देहरादून: उत्तराखंड राज्य गठन रजत जयंती वर्षगांठ पर युवा कल्याण विभाग ने साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रदर्शनी लगाई. साइंस एंड टेक्नोलॉजी एग्जीबिशन में प्रदेश के हर जिले के छात्रों ने हिस्सा लिया. इसमें साइंस एंड टेक्नोलॉजी संबंधित मॉडल और नवाचार का प्रदर्शन किया जा रहा है. जिसे लेकर प्रदेश भर के युवा उत्साहित नजर आये.
ईटीवी भारत की टीम ने प्रदेश भर के इन युवाओं की प्रदर्शनी का अवलोकन किया. साथ ही आने वाला भविष्य तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवा क्या सोचता है यह भी सभी से जानने की कोशिश की. प्रदेश भर के छात्रों द्वारा लगाई गई साइंस एंड टेक्नोलॉजी की प्रदर्शनी में ज्यादातर छात्रों की सोच उत्तराखंड की बड़ी समस्या पर आधारित रही. इस साइंस एंड टेक्नोलॉजी एग्जीबिशन में हमें आपदा से मॉडल देखने को मिले.
टिहरी जिले की 11वीं कक्षा की छात्रा अक्षरा सिंह ने अपने व्हीकल वेट बेस रेगुलेशन सिस्टम के बारे में बताया. उन्होंने कहा उत्तराखंड में ओवर लोडेड वाहनों की वजह से सड़क और पुलों के टूटने की समस्या काफी ज्यादा है. इन समस्याओं से निपटने के लिए उनका यह छोटा मॉडल कारगर साबित हो सकता है. इस मॉडल के अनुसार यह मॉडल सड़क पर चलने वाली मानकों से ज्यादा भार वाहन को डिटेक्ट कर आगे सिग्नल भेजेगा. इसे पुल पर जाने से रोका जा सकेगा. उनका यह सिस्टम यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर भी लागू किया जा सकता है.
इसी तरह से टिहरी की ही एक और पॉलिटेक्निक छात्र अंकित मियां अपने अपने बोल्डर डिडेक्शन एंड अलर्ट सिस्टम के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया यह लैंडस्लाइड वाले इलाकों में लेजर से सेंसिटिव एरिया पर निगरानी रखेगा. जैसे ही वहां पर हलचल होती है, लेजर का कनेक्शन टूटता है तुरंत नीचे सड़क पर अलॉर्म सिस्टम एक्टिव हो जाएगा. साथ ही यह मोबाइल पर भी अलर्ट भी भेजेगा.
उत्तरकाशी चिन्यालीसौड़ के 11वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र सानिध्य रांगड़ ने बताया उत्तरकाशी के धारली में आई आपदा से उनका मन काफी व्यथित हुआ. उन्होंने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की इस आपदा को लेकर काफी कुछ सोचा. इसके बाद उन्होंने आपदा प्रबंधन पर ही अपना एक नया मॉडल बनाया. ये मॉडल पहाड़ों की इस बड़ी समस्या को लेकर कारगर साबित हो सकता है. उन्होंने नदियों से होने वाले पहाड़ों के कटान को रोकने के लिए एक स्टील और बॉर्डर रॉक से तैयार दीवार के बारे में बताया. जिससे पानी से होने वाले कट ऑफ को कम किया जा सकता है. उन्होंने स्टेप वाइज फ्लड मैनेजमेंट सिस्टम के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने बताया किस तरह से ड्रेनेज सिस्टम का प्रयोग करके इसे वाटर कंजर्वेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
