रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित आवासीय कॉलोनी पर मंडरा रहा है खतरा

रुद्रप्रयाग: धराली में आई आपदा के बाद एक बार फिर से लोगों के जेहन में 2013 की केदारनाथ आपदा की याद ताजा हो गई. इस आपदा के जख्म आज भी रूह कंपा देते हैं. आपदा ने केदारनाथ से लेकर पूरी मंदाकिनी घाटी में भारी तबाही मची थी. बारह साल गुजर गए, लेकिन मंदाकनी नदी के किनारे जहां तबाही का खौफनाक मंजर बन गया था, वहां आज फिर बस्तियां बस गई हैं और फिर एक बड़ी आबादी आपदा के मुहाने पर है. वहीं जहां मंदाकिनी किनारे लोगों ने अपने आशियाने बना दिए हैं, वहीं बहु मंजिला भवनों के बनने से भविष्य में कोई बड़ी आपदा को भी न्यौता दिया गया है, जिसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

देश के इतिहास में वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा ने बड़ी तबाही मचाई थी. केदारनाथ से लेकर तिलवाड़ा तक मंदाकिनी नदी से सटे कई आवसीय भवन तबाह हो गए थे और भारी नुकसान झेलना पड़ा था. लेकिन लोगों ने फिर भी सबक नहीं लिया. जहां तबाही हुई, आज फिर वहीं बस्तियां बस चुकी हैं. इसके अलावा अलकनंदा नदी किनारे भी अमूमन यही स्थिति देखने को मिल रही है. लोगों ने नदी किनारे आवासीय भवन बनाए हुए हैं.

इन दिनों अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है और आवासीय भवनों के पास तक पानी पहुंच गया है. ऐसे में लोगों की रातों की नींद हराम हो गई है. मंदाकिनी घाटी में आपदा के बाद से आज भी नदियों किनारे बसे परिवारों में दहशत तो है, लेकिन हटने के लिए कोई तैयार नहीं. उनका कहना है कि सरकार को सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम करने चाहिए.

people living along river

केदारनाथ से लेकर तिलवाड़ा तक मंदाकिनी नदी से सटे कई आवसीय भवन 

जहां मंदाकिनी घाटी में नदी किनारे बसे लोगों को खतरा बना हुआ है. वहीं रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय के बेलनी क्षेत्र में भी अलकनंदा नदी का जल स्तर बढ़ने से खतरा बना हुआ है. बदरीनाथ और केदारनाथ क्षेत्र में हो रही मूसलाधार बारिश से नदियों का जलस्तर उफान मार रहा है.

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मंदाकिनी नदी का जलस्तर बढ़ने से आवासीय भवनों तक पहुंचा पानी 

वहीं, जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग प्रतीक जैन ने कहा कि नदियों किनारे रहने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर हर कदम उठाए जाते हैं. ये जरूर है कि इनको खतरा बना रहता है और पिछली आपदाओं से बहुत नुकसान भी पहुंचा है. लेकिन लोग अपने घरों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में नदियों का जल स्तर बढ़ने पर किनारे बसे लोगों की सुरक्षा को लेकर अनाउंसमेंट कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जाती है.