देहरादून: राज्य में जंगलों की आग लगातार जारी है। मंगलवार को भी 68 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल 12 घंटे में जल गए। 74 घटनाएं दर्ज की गईं। अप्रैल में अब तक 17 सौ हेक्टेयर के आसपास जंगल जल चुके हैं। मंगलवार को मौसम शुष्क होने के कारण आग की घटनाओं में कमी नहीं आई। सीसीएफ-वनाग्नि मान सिंह ने बताया कि लगातार तेज धूप के चलते पेड़ सूख रहे हैं। सूखे पत्ते झड़ रहे हैं, जिससे जंगलों में आग भड़क रही है। वन विभाग के कर्मचारी मुस्तैदी से आग बुझाने में जुटे हैं।
राज्य के वन महकमे में कर्मचारियों और अधिकारियों की भारी कमी है। हालांकि कुछ संवर्गों में भर्ती की प्रक्रिया चालू है। मगर, अधिकारी संवर्ग में कोई विवाद न हो तो तीन से चार साल में पद भर सकेंगे। हालांकि, फॉरेस्ट गार्ड के 1,218 पदों को दो माह में भरा जा सकता है। क्योंकि इसकी लिखित परीक्षा भी हो चुकी है। शारीरिक परीक्षा होनी है। ट्रेनिंग ज्वाइनिंग के बाद नौकरी के साथ भी करने का प्रावधान है। राज्यभर में फॉरेस्ट गार्ड के 3639 पद हैं। इनमें से 1,296 ही भरे हैं। 1218 पर भर्ती चल रही है। रेंजर के सीधी भर्ती के 154 में 105 और प्रमोशन के 154 में 31 पद खाली हैं। यानी कुल 80 पद खाली हैं। इनमें से सीधी भर्ती अगर अभी शुरू हुई और सब ठीक रहा तो 2024 में यह रेंजर वन विभाग को मिल भी सकते हैं। एसीएफ के सीधी भर्ती के 45 में से 45 खाली हैं और प्रमोशन के 45 में से 30 खाली हैं। सीधी भर्ती की लिखित परीक्षा हो गई है।
पीसीसीएफ राजीव भरतरी ने आखिरकार मान लिया कि जंगलों Forest Fire की आग बुझाने के लिए वन विभाग के पास कर्मचारी नहीं हैं। मानवजनित आग की घटनाओं को रोकना नामुमकिन हो गया है। फिर भी, सीमित कर्मचारियों और एनडीआरएफ के साथ वन विभाग आग पर काबू पाने के प्रयास में जुटा है। इसके अलावा, अगले साल वनाग्नि बेकाबू होने से बचाने के लिए भी वन प्रभागों से प्रस्ताव मांग लिए गए हैं। इस साल नए उपकरणों के लिए 1.19 करोड़ रुपये मिले हैं और इनकी खरीदारी के लिए भी प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं। अल्मोड़ा में फॉरेस्ट गार्ड के 130 पदों में 102 पद खाली हैं। सिर्फ 27 गार्डों से जंगल की आग बुझाई जा रही है। यही हाल दूसरे डिविजनों का भी है, इसलिए कर्मचारियों के बिना आग पर काबू नहीं पाया जा सकता। कर्मचारियों की कमी जल्द दूर करेंगे।
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