देहरादून में अधिवक्ताओं का प्रदर्शन, 2 घंटे सड़क को रखा जाम, चैंबर निर्माण की मांग पर बुलंद की आवाज

देहरादून: शहर के पुरानी जिला अदालत की खाली जमीन पर चैंबर निर्माण की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने सड़क पर 2 घंटे का सांकेतिक जाम रखा. अधिवक्ताओं ने सरकार को आने वाले समय में प्रदर्शन को और तेज किए जाने की चेतावनी भी दी है.

मंगलवार को देहरादून के अधिवक्ताओं ने जिला जज न्यायालय परिसर में रैन बसेरा बनाए जाने का विरोध किया. बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का क्या कहना है कि न्यायालय परिसर में वकीलों और अन्य कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है. जिस कारण उन्हें आमंत्रित की गई भूमि कम पड़ रही है.

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल ने बातचीत करते हुए जिला जज न्यायालय परिसर में हरिद्वार रोड स्थित सिविल कंपाउंड पर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रस्तावित रैन बसेरा बनाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि अधिवक्ता अपनी मांगों को लेकर बुधवार को चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की सरकारें वकीलों के चैंबर बनाकर देती है, क्योंकि न्यायपालिका और अधिवक्ता एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं.

उन्होंने कहा कि देहरादून में 5 हजार अधिवक्ता, पांच हजार टाइपिस्ट और वेंडरों के अलावा कई वादकारियों का कोर्ट आना जाना लगा रहता है. लेकिन उनके लिए परिसर में पर्याप्त जगह तक नहीं है. जिस कारण उन्हें आवंटित भूमि कम पड़ रही है. उन्होंने मांग उठाई कि उन्हें चैंबर निर्माण के लिए अतिरिक्त भूमि आवंटित की जाए. उन्होंने कहा कि जिला जज न्यायालय परिसर में सिविल कंपाउंड हरिद्वार रोड की जमीन भी अधिवक्ताओं को चैंबर निर्माण के लिए मिलनी चाहिए.

मनमोहन कंडवाल ने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन तक अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यहां के वकीलों ने उत्तराखंड आंदोलनकारियों की निशुल्क पैरवी की है. यहां के अधिवक्ताओं ने उत्तराखंड आंदोलन के समय उत्तर प्रदेश में बंद रहे आंदोलनकारियों को लाने के लिए निशुल्क बसों की व्यवस्था भी की थी. लेकिन सरकार हमारी मांग को अनसुना कर रही है.

बता दें कि सोमवार से अधिवक्ता देहरादून की सड़कों पर सांकेतिक जाम कर प्रदर्शन कर रहे हैं. सोमवार को अधिवक्ताओं ने सुबह 10:30 बजे से 11:30 बजे तक (एक घंटा) का सांकेतिक जाम रखा. जबकि मंगलवार को सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक (2 घंटे) का सांकेतिक जाम किया. अब अधिवक्ताओं ने धीर-धीरे चरणबद्ध तरीके से अपने आंदोलन को बढ़ाने की चेतावनी दी है.