देहरादून: उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड अब जल्द ही खत्म हो जाएगा. ऐसा करने वाला असम के बाद उत्तराखंड दूसरा राज्य बताया जा रहा है. उत्तराखंड में अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 को राज्यपाल से मंजूरी मिल चुकी है तो वहीं मदरसा बोर्ड खत्म होने की बात से कांग्रेस बौखलाई हुई है. जहां एक तरफ उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इसे मुस्लिम समुदाय के विकास का बड़ा कदम बताया है तो वहीं कांग्रेस ने इस पर तमाम सवाल खड़े किए हैं.
उत्तराखंड कांग्रेस की प्रदेश महिला उपाध्यक्ष नजमा खान ने कहा कि वो सरकार की ओर से लिए गए फैसले पर शहर काजी समेत मुस्लिम दानिशवरों से मुलाकात करेंगी. इस विषय पर चर्चा करेंगे. जरूरत पड़ने पर दारुल उलूम देवबंद में भी इस विषय पर भी चर्चा की जाएगी. नजमा खान का कहना है कि सरकार लगातार मुसलमानों के दमन के लिए इस तरह के कानून ला रही है.
उन्होंने आरोप लगाया कि पहले वक्फ बोर्ड पर सरकार की नजर पड़ी और अब मदरसा बोर्ड को खत्म करने पर सरकार तुली हुई है. उन्होंने कहा कि यदि मदरसों में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी तो उनकी आने वाली पीढ़ी अपने संस्कारों और अपने रीति-रिवाज के साथ अपने धर्म के प्रति कैसे जागरूक होगी.
नजमा खान का कहना है कि अगर ऐसा होता रहा तो उनके पूरे धार्मिक अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि यह देश सर्वधर्म संभव के सिद्धांत पर चलता है और यहां पर केवल एक धर्म के दामन को लेकर ले जा रहे कानून की वह कड़ी निंदा करते हैं.
“मदरसों में मुस्लिम धर्म की शिक्षा को हम जारी रखेंगे. चाहे इसके लिए हमें किसी भी हद तक जाना पड़े. अगर सड़क पर भी उतरना पड़ता है तो हम उतरने के लिए तैयार हैं, लेकिन इस तरह से मुस्लिम धर्म के अधिकारों को कुचला जाएगा तो उसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.“- नजमा खान, प्रदेश उपाध्यक्ष, उत्तराखंड महिला कांग्रेस
मुफ्ती शमून कासमी ने कही ये बातें: वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी नेता और उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इस कानून को लेकर कांग्रेस या फिर मुस्लिम नेताओं की ओर से उठाए जा रहे सवालों को निराधार बताया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार के अल्पसंख्यक शिक्षा कानून के आने से किसी भी तरह से मदरसों में धार्मिक शिक्षा पर असर नहीं पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि इस कानून के आने से अब मदरसा बोर्ड भी शिक्षा बोर्ड के तहत अधिकृत होगा. यहां से पढ़ने वाले छात्रों को एक अधिकृत डिग्री मिल पाएगी. साथ ही सभी मदरसे अब एक कानूनी बॉडी के अंतर्गत आएंगे. जिसकी वजह से इनको मान्यता मिलेगी. साथ ही कानून के दायरे में आने से छात्रों का विकास और उनको शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं एवं शिक्षा भी मिल पाएगी.
“अब तक कांग्रेस ने इसी तरह से पिछले 70 सालों से मुसलमानों को शिक्षा से दूर रखकर वोट बैंक की राजनीति की, लेकिन अब बीजेपी सरकार हर एक मुस्लिम छात्र को शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ने का मौका दे रही है.”- मुफ्ती शमून कासमी, अध्यक्ष, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड
मुफ्ती शमून कासमी का कहना है कि इस वक्त मदरसों में केवल 4 फीसदी छात्र पढ़ते हैं तो वहीं सरकार ने ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं किया है कि जिसके तहत धार्मिक शिक्षा न पढ़ाई जा सके या फिर धार्मिक फंडामेंटल राइट को किसी तरह से नहीं रोका गया है.
उन्होंने कहा कि केवल 6 घंटे की पढ़ाई को आधुनिक और शिक्षा बोर्ड के तहत करवाने को कहा गया है. बाकी इसके अलावा पूरे 12 घंटे हैं. आप उसमें किसी भी समय धार्मिक पढ़ाई करवा सकते हैं. 6 घंटे के अलावा आप किसी भी तरह की शिक्षा छात्र को दे सकते हैं, लेकिन उसमें राष्ट्र प्रेम और नैतिक शिक्षा जरूर छात्रों को दी जानी चाहिए.
“राज्यपाल गुरमीत सिंह की स्वीकृति के साथ ही अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 के कानून बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. इस कानून के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करने का काम करेगा. साथ ही इस विधेयक के लागू होने के बाद मदरसा जैसे अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड से मान्यता लेनी होगी. निश्चित तौर पर यह कानून राज्य में शिक्षा व्यवस्था को ज्यादा पारदर्शी, जवाबदेह और गुणवत्तापूर्ण बनाने में सहायक सिद्ध होगा.“- पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड