देहरादून: आज मसूरी गोलीकांड की 28वीं बरसी है, लेकिन राज्य आंदोलनकारी पहाड़ का पानी, जवानी और पलायन रोकने की मांग लगातार कर रहे हैं। खटीमा गोलीकांड के विरोध में दो सितंबर 1994 को आंदोलनकारी मसूरी में गढ़वाल टैरेस से जुलूस निकाल रहे थे। इसी बीच पुलिस ने गोलियां चला दीं थीं।
दो सितंबर का दिन मसूरी के इतिहास का काला दिन माना जाता है। दो सितंबर 1994 को राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चला दीं थी, जिसमें छह लोगों सहित एक पुलिस अधिकारी भी शहीद हो गए थे। राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि मसूरी गोलीकांड के जख्म आज भी ताजा हैं। भले ही हमें अलग राज्य मिल गया हो, लेकिन शहीदों को सपने आज भी अधूरे हैं।
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