Assembly Election 2022: परिवारवाद का फ़ार्मूला नहीं छोड़ पा रहे राजनीतिक दल, बीजेपी-कांग्रेस ने परिवार में ही बांटे टिकट

देहरादून: उत्तराखंड (Assembly Election 2022) में दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा को सीट संख्या में बदलने के लिए भाजपा और कांग्रेस जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस बार फिर आम कार्यकर्ताओं की जगह परिवारवाद को तरजीह दी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों ने प्रदेश के कुल 20 फीसदी से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में नेताओं के नजदीकी रिश्तेदारों पर ही भरोसा जताया है। लैंसडौन सीट से कांग्रेस ने हाल में पार्टी में दोबारा शामिल हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को चुनावी मैदान में उतारा है। इस सीट पर अनुकृति का मुकाबला भाजपा के दो बार के विधायक दिलीप सिंह रावत से है देहरादून कैंट विधानसभा सीट (Assembly Election 2022) पर रिकॉर्ड आठ बार विधायक रहे हरबंस कपूर के हाल में निधन के बाद भाजपा ने उनकी पत्नी सविता को चुनाव मैदान में उतारा है।

भाजपा ने इसके अलावा खानपुर से विधायक कुंवर प्रणब सिंह चैंपियन की जगह उनकी पत्नी कुंवरानी देवयानी, काशीपुर से हरभजन सिंह चीमा की जगह उनके पुत्र त्रिलोक सिंह को मैदान में उतारा है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी को कोटद्वार से, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा को सितारगंज, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत को पिथौरागढ़, पूर्व विधायक दिवंगत सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना को सल्ट से टिकट दिया गया है। कांग्रेस ने पार्टी महासचिव हरीश रावत की पुत्री अनुपमा को हरिद्वार ग्रामीण से जबकि पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के पुत्र संजीव को नैनीताल से उम्मीदवार बनाया है। भगवानपुर से विधायक और कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार चुनाव लड़ रहीं ममता राकेश क्षेत्र के दिग्गज नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत सुरेंद्र राकेश की पत्नी हैं। काशीपुर से कांग्रेस ने पूर्व सांसद और विधायक केसी सिंह बाबा के पुत्र नरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। अब देखना यह होगा की विधानसभा चुनाव में जनता परिवारवाद को अपना कितना समर्थन देती है।

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