देहरादून: बीजेपी और कांग्रेस के बागियों ने उत्तराखंड की राजनीति में चुनावो को गरमा कर रख दिया है। बीजेपी और कांग्रेस के 20 से ज्यादा नेताओं ने पार्टी को परेशान करके रखा है। ये नेता पार्टी की मर्जी की विपरीत चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। ऐसे में दोनों ही पार्टी के नेता इन बागियों को मनाने के लिए कोशिश में लगे हैं। पार्टियों ने बकायदा उन नेताओं की पहचान की है जो इन बागियों को मना सकते हैं, जिनके इन बागियों से पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंध हैं। जिसके लिए बीजेपी ने तो अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों और सासंदों को लगा रखा है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी बागियों से बात करने में व्यस्त हैं।
कुछ बागी नेता तो ऐसे हैं जो कांग्रेस और बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं को चुनौती दे रहे हैं। बागियों की संख्या के मामले में बीजेपी सबसे ज्यादा परेशान है, क्योंकि 16 बीजेपी नेता बागी होकर नामांकन कर चुके हैं। जबकि कांग्रेस के 12 बागी नेताओ ने पर्चा भरा हैं। हालांकि सोमवार नामांकन वापसी का दिन है। ऐसे में पार्टियों की कोशिश इससे पहले बागियों को मनाने की है।
ये बड़े नेता हैं बागी
उत्तराखंड के नैनीताल की लालकुआं सीट से पूर्व सीएम हरीश रावत को उन्हीं की पार्टी की संध्या डालाकोटी चुनौती दे रही हैं। संध्या का टिकट पहले कांग्रेस ने घोषित किया था, लेकिन बाद में काट दिया जिससे संध्या नाराज हो गयी। वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कर चुकी हैं। लालकुआं की इसी सीट से बीजेपी के पवन चौहान और कुंदन सिंह मेहता भी निर्दलीय नामांकन कर चुके हैं। रामनगर सीट से कांग्रेस के संजय नेगी, पूर्व सांसद और पार्टी प्रत्याशी महेंद्र पाल को चुनौती दे रहे हैं। भीमताल से मनोज साह, कालाढूंगी से पूर्व प्रदेश महामंत्री गजराज बिष्ट निर्दलीय चुनाव में उतरने की तैयारी कर चुके हैं। गजराज बिष्ट, कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत के खिलाफ मैदान में हैं। ऊधम सिंह नगर जिले में तो बीजेपी ने रुद्रपुर से सिटिंग विधायक राजकुमार ठुकराल का टिकट काट दिया, जिससे राजकुमार ठुकराल नाराज होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद गए हैं।
इसी जिले की किच्छा सीट से बीजेपी के अजय तिवारी, कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री हरीश पनेरू बागी होकर चुनाव मैदान में हैं। हरीश पनेरू ने कांग्रेस प्रत्याशी और पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष तिलकराज बेहड़ के सामने मुश्किल पैदा कर दी है। अल्मोड़ा से बीजेपी के दीपक करगेती, द्वाराहाट से कैलाश भट्ट, बागेश्वर से कांग्रेस के भैरलनाथ पार्टी से बगावत कर नामांकन कर चुके हैं।
ऋषिकेश से पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता शूरवीर सिंह सजवाण टिकट न मिलने से नाराज हो गए हैं और बागी हो कर चुनाव में जा चुके हैं और ऋषिकेश से ही बीजेपी की उषा रावत, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की डोईवाला विधानसभा से जितेंद्र नेगी, सुभाष भट्ट और सौरभ थपलियाल बीजेपी से बगावती हो चुके हैं। सहसपुर से कांग्रेस के बागी अकील अहमद, धर्मपुर विधानसभा से बीजेपी नेता वीर सिंह पंवार, कैंट से बीजेपी नेता दिनेश रावत, राजपुर से कांग्रेस नेता संजय कन्नौजिया, कैंट से कांग्रेस नेता चरणजीत कौशल, रायपुर से कांग्रेस नेता सूरत सिंह नेगी पार्टी प्रत्याशी का विरोध करते हुए अपना अपना नामांकन कर चुके हैं।
उत्तराखंड के हरिद्वार की ज्वालापुर सीट से कांग्रेस नेता एसपी सिंह, रानीपुर से इशांत तेजीयान, पिरान कलियर से बीजेपी के साल 2017 में प्रत्याशी रहे भगवाल सैनी बागी होकर मैदान में हैं। तो वही टिहरी की घनसाली से पूर्व विधायक भीम लाल आर्य कांग्रेस से बागी होकर चुनाव मैदान में हैं। जबकि इसी सीट से बीजेपी के सोहन लाल खंडेवाल और दर्शनलाल, धनौल्टी से बीजेपी के पूर्व विधायक महावीर रांगड़ चुनाव मैदान में हैं। पौड़ी की कोटद्वार सीट से बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष धीरेंद्र चौहान बगावत कर चुके हैं।
उत्तरकाशी की यमुनोत्री सीट से पूर्व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री जगवीर सिंह भंडारी बीजेपी से बगावत कर चुके हैं। इसी सीट से साल 2017 में कांग्रेस प्रत्याशी रहे संजय डोभाल भी बागी हो कर मैदान में कूद चुके हैं। चमोली की कर्णप्रयाग सीट से टीका राम मैखुरी बीजेपी से बगावत कर चुके हैं। रुद्रप्रयाग से पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी कांग्रेस से बगावत कर चुनाव मैदान में हैं।
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