देहरादून: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने देश एवं प्रदेश वासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। पूर्व संध्या में जारी अपने संदेश में राज्यपाल ने स्वतंत्रता संग्राम के ज्ञात व अज्ञात गौरव सेनानियों को याद करते हुए कहा कि उनके त्याग व बलिदान से ही स्वतंत्र भारत का सपना साकार हुआ। उन्होंने कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी एवं सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि “आजादी के अमृत महोत्सव” और अमृतकाल में देश की प्रगति और विकास हेतु प्रत्येक देशवासी में जो उत्साह और उमंग दिख रही है वह अपने आप में अलग है। राज्यपाल ने प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा कि ”इस मौके पर हम सभी संकल्प लें कि देश एवं प्रदेश की प्रगति एवं विकास के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें और यही प्रयास आजादी के नायकों को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। राज्यपाल ने कहा कि भारत ने आजादी के इन 76 वर्षों में सभी चुनौतियों का सामना मजबूती से किया है, और भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं। इस उपलब्धि को प्राप्त करने की दिशा में भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व प्रगति की है, आज हमारे विश्वस्तरीय नेशनल और स्टेट हाइवे, गंतव्यों की दूरी कम करने के साथ-साथ कनेक्टिविटी को भी बढ़ा रहे हैं, साथ ही हमारी सप्लाई चैन के नेटवर्क को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत वैश्विक केंद्र बन रहा है, सैन्य एवं रक्षा विनिर्माण में भारत तेजी से उभर रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत ने 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का संकल्प लिया है, आने वाले अमृतकाल के 24 वर्षों में इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमारे कुछ उत्तरदायित्व हैं और आने वाली पीढ़ी के प्रति हमारी कुछ जिम्मेदारियां भी हैं। भारत ने हमेशा ही सतत विकास का समर्थन किया है, विकसित राष्ट्र की अपनी यात्रा में हम भविष्य की पीढ़ी के लिए आवश्यकताओं से समझौता किये बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करने में विश्वास रखते हैं।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है, भारत ने तो हमेशा ही प्रकृति को देवताओं के समान आदर दिया है, जी-20 सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य की थीम और ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ के ध्येय वाक्य के माध्यम से हमने समूचे विश्व को संदेश दिया है कि हमारे उपनिषद, वेद और प्राचीन साहित्य ज्ञान के भंडार हैं। राज्यपाल ने कहा कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद देवभूमि उत्तराखण्ड भी मजबूत इरादों से निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उत्तराखण्ड ने जी-20 के 03 सम्मेलनों का सफलतापूर्वक आयोजन कर देवभूमि की एक अलग पहचान स्थापित की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में चार धाम यात्रा और कांवड़ यात्रा का सफल संचालन के साथ ही यहां इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी, रेल मार्गों के निर्माण से भविष्य में यात्रा और भी सुगम एवं सुविधाजनक किए जाने हेतु निरंतर कार्य जारी है।
उन्होंने कहा कि अपने वीर शहीदों की स्मृतियों को चिरस्थायी बनाने के लिए यहां पांचवें धाम के रूप में भव्य और देशभक्ति से ओत-प्रोत सैन्य धाम का निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा कि युवाओं को पहाड़ में ही विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं के जरिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पलायन की समस्या को रोका जा सके। राज्यपाल ने कहा कि सरकार द्वारा कृषि, जैविक खेती, औद्यानिकी को मजबूती देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि नई तकनीकों, एआई, स्पेस, साइबर, क्वांटम, रोबोटिक्स में अनंत संभावनाएं हैं। हमें इन क्षेत्रों में अपनी पहुंच को और मजबूत करने के प्रयास करने होंगे। राज्यपाल ने कहा कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद भी हमारी मातृशक्ति, राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें राज्य में संतुलित विकास तथा राष्ट्र निर्माण के लिए महिलाओं और युवाओं की क्षमता, कौशल वृद्धि पर विशेष ध्यान केंद्रित करना है।
यह भी पढ़े: देश के विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता: मुख्यमंत्री